क्या कभी देवी देवताओं के बीच झगडा या मनमुटाव हो सकता है….? नहीं न….? लेकिन राजनीति ऐसी चल रही है की बंगाल की धरती पर मा दुर्गा भवानी और भगवान श्रीराम के बीच मनमुटाव जैसे हालात बन रहे है…! राजनीति क्या क्या नही करवाती…? सत्ता के लिये क्या क्या नहीं करना पडता…? कही कोइ विधायक पार्टी से इस्तीफा दे रहे है, कहीं कोइ एक साथ दुसरी पार्टी में जा रहे है…कोइ विधायक कीसी पार्टी के कहने से अपनी पार्टी छोड रहे है….इन सब के बीच बंगाल की धरती पर अब जय श्रीराम की गूंज सुनाइ दे रही है। जय श्री राम नहीं बोलने पर पिटाइ कर दी गइ….जय श्री राम बोला तो पुलिस ने पिटाइ कर दी….ऐसी खबरे बंगाल से आ रही है। लोकसभा के आम चुनाव में आखिर दौर में जय श्री राम अयोध्या से बंगाल पहुंचे थे…! और तब से सत्ता के लिये जय श्री राम का रटन शूरू हो गया है जो कीसी को सत्ता मिलने के बाद ही खतम हों सकता है।
जय श्री राम बोलने में कीसी हिन्दु को कतइ कोइ आपत्ति नहीं हो सकती। लेकिन जब उसका राजनीति के लिये उपयोग हो रहा हो तब कोइ न कोइ उसका विरोध करे ये स्वाभाविक और सहज है। बंगाल की धरती मा दुर्गा भवानी की धरती है। गुजरात में नवरात्रि के दौराम गरबे होते है तो बंगाल में गरबा नहीं लेकिन पूजापाठ और अन्य पावन तरी के से मा दुर्गा की स्तुति होती है। बंगाल के लिये दुर्गा उत्सव सब से बडा है। करोडों लोगो की आस्था उसके साथ जूडी है। उस बंगाल में अब जय श्री राम का नारा सुनाइ दे रहा है। बोलने और न बोलने दोनो तरह से पिटाइ के मामले हो रहे है। कीसी से जबरन बुलवाना ये एक राजनीतिकरण है। कीसी पार्टी का एजन्डा है की बंगाल-केरल आदि में केसरी ध्वज लहरायेगा तो ही गोल सिध्ध होगा। होना भी चाहिये। सभी को सत्ता चाहिये। फिर वह मोटाभाइ हो या दीदी या कोइ और। लेकिन जय श्री राम का नाम भुनाना ठीक है क्या…?
चुनाव में धर्म का उपयोग नहीं होना चाहिये। मा दुर्गा की संस्कृति को भी बीच में लाने की आवश्यक्ता नही और भगवान श्री राम को भी नही। दोनो का अपनी जगह बरोबर मान- सन्मान है। कीसी पर जबरन थोपना और कीसी को नीचा दिखाना इस बात को लेकर चिंतन मनन होना चाहिये। बंगाल विधानसभा चुनाव में दीदी की सरकार अपने कामकाज का हिसाबकिताब रखे। भाजपा सत्ता मिलने पर बंगाल के लिये क्या करेंगी उसका ब्योरा चुनावी घोषणापत्र के जरिये रखे। मतदाताओं को जो ठीक लगेगा उसे सत्ता की बागडोर मिल सकती है। भाजपा के कार्यकर्ताओं की हत्या या पिटाइ से कोइ फिर से सत्ता लेना चाहती है तो वह भी गैर लोकतांत्रिक तौर तरिका हो सकता है। बंगाल के लोग जय श्री राम भी बोलेंगे और मा दुर्गा का गान भी गायेगे लेकिन पहले राम मंदिर तो बने…ऐसा अगर कोइ कहे तो बुरा न मानो होली है…की तरह उसे लेना चाहिये। राम का नाम करोडो लोगो के दिल में बसा है। बंगालीओं के दिलों में भी बसा है। मा दुर्गा की धरती पर सभी नागरिक की तरह देवी देवता भी हिलमिल रहे तो मानो सोने पे सुहागा…! जय दुर्गे….जय भवानी…..जय श्री राम….!