पर्यावरण को बचाने के लिए जहां दुनियाभर में कागज के कम इस्तेमाल की चर्चा जोरों पर है तो भला इसमें दिल्ली कैसे पीछे रह सकती है । दिल्ली हाईकोर्ट को पेपरलेस बनाने की मुहिम नए चीफ जस्टिस की पहल के बाद और मजबूत हो गई है । पहली बार दिल्ली हाईकोर्ट का कोर्ट नंबर-१ ‘ई कोर्ट’ बन गया है । ऐसा चीफ जस्टिस डी एन पटेल की बेंच का पेपरलेस होने के बाद हुआ ।
अब तक हाईकोर्ट के कर्मशल कोर्ट और कुछ सिंगल बेंच के कोर्ट आंशिक या पूर्ण रूप से पेपरलेस थे । मतलब इससे पहले तक चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच पेपरलेस नहीं थी । सूत्रों के मुताबिक, पिछले महीने चार्ज संभालने के बाद से चीफ जस्टिस पटेल का इसपर जोर था और आखिरकार यह सफल हुआ । कोर्ट नंबर १ का पेपरलेस होना एक बड़ा चैलेंज भी रहा, क्योंकि इसमें हर तरह के केस सुनवाई के लिए आते हैं, यानी यहां काम का बोझ ज्यादा रहता है । इस बारे में एक सूत्र ने बताया, इस कोर्ट में जनहित याचिकाएं, नए कानूनों और नियमों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाएं, पत्र पेटेंट अपील (एलपीए), टैक्स केस और कर्मशल अपील सभी तरह के मामले आते हैं । सिर्फ एक तरह के केस देख रही अदालत के लिए पेपरलेस होना आसान है । लेकिन जहां इतनी विविधता हो, उसके लिए यह बिल्कुल आसान नहीं रहा । अब जब दिल्ली हाईकोर्ट की मुख्य बेंच पेपरलेस हो गई है तो बाकी बेंच और कोर्ट को भी इस पर विचार करना होगा । पिछले कुछ वक्त से केंद्र सरकार भी केसों की फास्ट ट्रैक सुनवाई के साथ-साथ डिजिटल होने पर जोर दे रही है ।