अमरीका में H-1B वीजा के धोखाधड़ी का मामला सामने आया है, जिसमें चार भारतीय गिरफ्तार हुए हैं। दो आईटी स्टाफ कंपनी में काम करने वाले इन भारतीय-अमरीकी अधिकारियों ने अपने प्रतिद्वंदियों को टक्कर देने के लिए H1B वीजा कार्यक्रम के साथ धोखाधड़ी किया है। आपको बता दें कि H1B एक नॉन-माइग्रेंट्स वीजा है। इसके तहत अमरीकी कंपनियां विदेशी नागरिकों को नौकरी देने की अनुमति देने देता है। इस गिरफ्तारी पर डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस ने जानकारी दी कि न्यूजर्सी के विजय माने, वेंकटरमण मन्नम और फर्नेंडो सिल्वा पर धोखाधड़ी का आरोप लगा है। उनके साथ ही कैलिफोर्निया के सतीश वेमुरी की भी वीजा धोखाधड़ी में गिरफ्तारी की गई है। इन सभी को अलग-अलग समय पर अमरीका के अलग-अलग कोर्ट में पेश किया गया था। आरोप साबित होने पर इन्हें पांच साल जेल की सजा और ढाई लाख डॉलर का जुर्माना लगाया जा सकता है।
डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस से मिली जानकारी के अनुसार, माने, मन्नम, और वेमुरी दो आईटी स्टाफिंग कंपनियों (प्रोक्योर प्रोफेशनल्स इंक और क्रिप्टो आईटी सॉल्यूशंस इंक) को नियंत्रित कर रहे थे। दोनों कंपनियां न्यू जर्सी के मिडिलसेक्स काउंटी में हैं। वहीं, सिल्वा और मननाम भी न्यूजर्सी स्टाफिंग कंपनी का नियंत्रण किया। इसे शिकायत में ‘ग्राहक ए’ के रूप में बताया गया है। आरोपियों ने विदेशी नागरिकों की भर्ती करने और उन्हें वीजा दिलाने के लिए अपनी कंपनी प्रोक्योर और क्रिप्टो का इस्तेमाल किया। जबकि, यह वीजा विशेष कौशल की जरूरत वाले पदों पर अमरीका में अस्थायी रूप से रहने और काम करने की अनुमति देता हैं। इन लोगों ने वीजा आवेदनों में तेजी लाने के लिए प्रोक्योर और क्रिप्टो को H1B आवेदन दाखिल करने का झूठा दावा किया। उनका कहना था कि विदेशी कर्मचारी या लाभार्थियों ने क्लाइंट ए में जगह बनाई है। जबकि, ऐसा कोई पद था ही नहीं।