फैडरेशन के साथ बैठक बाद ही निगमीकरण पर होगा फैसला : चेयरमैन रेलवे बोर्ड के चेयरमैन विनोद यादव ने कहा है कि भारतीय रेल के 100 दिन की कार्ययोजना से कुछ कर्मचारियों को परेशान होने की जरूरत नहीं है। जहां तक रेल कोच फैक्टरी के साथ अन्य उत्पादन इकाइयों के निगमीकरण का सवाल है, इस पर अंतिम निर्णय लेने से पहले फैडरेशन से जरूर बात की जाएगी। ए.आई.आर.एफ. महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा की आज दोपहर में रेलवे बोर्ड के चेयरमैन विनोद अग्रवाल से काफी समय तक बातचीत हुई। बातचीत के दौरान महामंत्री ने कर्मचारियों के गुस्से और निगमीकरण के बारे में AIRF का नजरिया उन्हें बताया। महामंत्री ने कहाकि 100 दिन के कार्ययोजना से ऐसा संदेश जा रहा है कि सरकार भारतीय रेल को निजीकरण की ओर ढकेलना चाह रही है। मंत्री साथी मिश्रा ने साफ किया कि हमें दुनिया के दूसरे देशों से सीखना होगा, क्योंकि जिस भी देश ने रेल का निजीकरण किया, उसका परिणाम नकारात्मक रहा है और अब दोबारा रेल को सरकारी क्षेत्र में वापस लिया जा रहा है।
भारत अभी विकासशील देशों में शामिल है और देशवासियों के लिए ये आज भी रेल सस्ता और सुगम यात्रा करा रही है। निजीकरण होते ही देशवासियों के लिए यात्रा करना कठिन हो जाएगा। रेलवे बोर्ड चेयरमैन श्री यादव ने कहाकि निगमीकरण और निजीक्षेत्र का कोई भी फैसला लेने से पहले फैडरेशन के साथ जरूर मीटिंग की जाएगी। बोर्ड की कोशिश होगी कि जो भी फैसला हो, उसमें कर्मचारियों की राय को भी शामिल किया जाए। गौरतलब है कि सरकार की मंशा को समझते हुए “महामंत्री AIRF” ने सभी जोन के महामंत्रियों को पत्र लिखकर एक जुलाई को काला दिवस मनाने का आह्वावान किया है।इसके अलावा दो जुलाई से छह जुलाई तक एक सघन अभियान चलाकर शाखास्तर तक के कर्मचारियों को निजीकरण के खतरों के बारे में बताया जाना चाहिए। इस समय रेल को बचाने के लिए सभी कर्मचारियों से एकजुट और एक झंडे के नीचे आने की अपील भी की गई है। कहने को तो रेल एक मात्र ऐसी सुविधा है जिससे हम दुनिया के किसी भी कोने तक जाकर यात्र या प्रवास कर शकते है लेकिन अब जब निगमीकरण की बात आती है तो देश की जनता की यात्रा और प्रवास दोनों ही मंहगे हो जाएंगे लेकिन मंहगाई को रोकने के लिए फिलहाल AIRF ओर वेस्टर्न रेलवे एम्प्लॉइज यूनियन मिलकर सरकार समक्ष प्रस्ताव रख अपनी मंशा बताएगी ओर निगमीकरण को रोकने की कोशिश करेगी।