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खोडियार माता की सवारी मगरमच्छ ने मंदिर में दी दस्तक, श्रद्धालुओं ने की पूजा-अर्चना

गुजरात में पटेल समुदाय का बहुत ही बढा वर्चस्व है, तो दुसरी तरफ उनकी माने जाने वाली कुलदेवी खोडियार माता की सवारी मगरमच्छ है जिसकी पूजा अर्चना लोग मन-धन से करते है। वैसे तो गुजरात के लोगों में श्रद्धा और आस्था रग रग में बहती है आज उसी आस्था का एक नमुना हमारे सामने आया है। गुजरात के महिसागर जुले के लुणावाडा इलाके मे स्थित खोडियार माता के मंदिर में एक मगरमच्छ घुस आया और मंदिर में श्रद्धालुओॆ की भीड इकठ्टी हो गई और सिदुंर से तिलक लगाकर मगरमच्छ को पूजने लगे। आपको बता दें कि, शनिवार रात मंदिर में हुई चोरी के बाद रविवार सुबह जब लोग दर्शन करने पहुंचे तो मंदिर का दरवाजा खुला था और अंदर मगरमच्छ घूम रहा था। स्थानीय लोगों का मानना है कि देवी खोडियार की सवारी मगरमच्छ है, ऐसे में मंदिर के गर्भगृह तक मगरमच्छ का आना किसी दैवीए शक्ति का स्वरुप माना जाता है।
इसी बीच वहीं श्रद्धा और आस्था के बीच वनविभाग के कर्मी भी मंदिर पहुंचे। वनविभाग के अधिकारियों का मानना है कि पौराणिक खोडियार मंदिर के पास ही तालाब है, यह मगरमच्छ उसी तालाब से मंदिर के गर्भगृह तक पहुंच गया है। आपको बता दें कि जानकारी के अनुसार लुनवाडा तहसील के पल्ला गांव में जब छह फीट के मगरमच्छ के मंदिर में घुसने की सूचना मिली तो बड़ी संख्या में लोग वहां इकट्ठा हो गए। उन्होंने मगरमच्छ पर सिंदूर लगाकर उसकी पूजा-अर्चना शुरू कर दी। इस बीच उसे वहां से निकालने पहुंची वन विभाग की टीम का लोगों ने विरोध किया। बडी जहमत के बाद वनविभाग की टीमने लोगों को समझाना शुरु किया तो आकिरकार लोग मान गये और जिसके बाद मगरमच्छ का रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू हुआ। 6 फीट लंबे मगरमच्छ का रेस्क्यू ऑपरेशन करने में वनविभाग के अधिकारियों का काफी परेशानी का सामना करना पड़ा क्योंकि मंदिर का गर्भगृह छोटा था। आखिरकार वनविभाग की टीम ने मगरमच्छ का रेस्क्यू करके मंदिर के नजदीक तलाब में छोड़ दिया। 
भारत देश 33 करोड देवी देवताओं का आस्था का केन्द्र माना जाता है। भारत देश में एसी आस्था से जुडी घटनायें बनती रहती है जिस पर लोग आंख बंद कर विश्वास करने लगते है। ठीक उसी तरह का एक किस्सा गुजरात के महिसागर जिले के लुनावाणा जिले से आस्था से जुडा एक किस्सा सामने आया। खोडियार माता के मंदिर में एक मगरमच्छ का घुस आना वहां के लोगों के लिए एक देवी की सवारी मगरमच्छ का मंदिर में आना श्रद्धा और आस्था को मजबूत करता है।

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