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नए ISI चीफ हमीद के आतंकी ग्रुपों के प्रति दृष्टिकोण पर रहेगी भारत की नजर

फैज हमीद के आई.एस.आई. के चीफ नियुक्त होते ही पूरे विश्व और भारत की नजरें उन पर टिकी हैं। आने वाला वक्त ही बताएगा कि हमीद का रवैया भारत के प्रति कैसा होगा। अब देखना होगा कि हमीद जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और जमात-उद-दावा जैसे आतंकवादी समूहों के साथ आई.एस.आई. के संबंधों को कैसे निर्देशित करता है। इसके साथ ही हमीद के मसूद अजहर और हाफिज सईद के प्रति दृष्टिकोण पर भी नजर रहेगी। इन दोनों को ही संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 1267 के तहत नामित किया गया है। फरवरी-2019 में कश्मीर में सी.आर.पी.एफ. के 40 जवानों की जान लेने वाले जैश आतंकी ग्रुप और इसके जवाब में भारत द्वारा बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद काफी बदलाव आए हैं। भारत यह देखने के इंतजार में है कि नया आई.एस.आई. चीफ भारत के साथ क्या पाठ्यक्रम स्थापित करेगा। यह बात किसी से नहीं छिपी है कि आई.एस.आई. का पाकिस्तान की राष्ट्रीय राजनीति और विदेश नीतियों में खासा प्रभाव है। इसके अलावा पाकिस्तान के मिलिट्री अलांयस को मजबूत करने में भी आई.एस.आई. का बड़ा रोल है।
संविधान के अनुसार प्रधानमंत्री देश के सेना प्रमुख से बातचीत कर तय करता है कि आई.एस.आई. की कुर्सी की जिम्मेदारी किसे सौंपनी चाहिए। पर्दे के पीछे यह सारा खेल सेना प्रमुख द्वारा ही खेला जाता है। वही तय करता है कि कौन आई.एस.आई. का चीफ होगा। आई.एस.आई. का डी.जी. (चीफ) केवल सेना प्रमुख को ही जवाबदेह होता है। आई.एस.आई. का चीफ पाकिस्तानी सेना में नंबर 2 पर आता है। इसी तरह देश में भी सेना प्रमुख के बाद सबसे ताकतवर आई.एस.आई. चीफ को ही माना जाता है। इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि पाकिस्तान में राजनीतिक मामलों में भी सेना का दखल है। ऐसे ही एक मामले में सोमवार को पाकिस्तान के दैनिक अखबार ने प्रकाशित किया था कि पाकिस्तानी सरकार एक आर्थइक सुरक्षा परिषद का गठन करने जा रही है और सेना प्रमुख कामर जावेद बाजवा भी इस कमेटी के मैंबर होंगे।
कामर जावेद बाजवा के सेना प्रमुख बनने के बाद फैज हमीद तीसरे आई.एस.आई. चीफ होंगे। इससे पहले लै. जनरल नावीद मुख्तार और लै. जनरल मुनीर आई.एस.आई. के चीफ रहे हैं। बाजवा और हमीद दोनों ही ब्लूचिस्तान रैजीमैंट से हैं। हमीद को आई.एस.आई. चीफ उस समय बनाया गया है जब 5 महीने बाद सेना प्रमुख बाजवा का 3 साल का कार्यकाल समाप्त होने वाला है। अगर बाजवा को 2022 तक का एक्सटैंशन मिल भी जाता है तो 2022 में हमीद उन जनरल की श्रेणी में खड़े होंगे जोकि अगले सेना प्रमुख होंगे।
आई.एस.आई. चीफ बनने से पहले फैज हमीद आई.एस.आई. की काऊंटर इंटैलीजैंस विंग का भी नेतृत्व कर चुके हैं। आई.एस.आई. के प्रमुख के रूप में उनकी नियुक्ति से तुरंत पहले हमीद ने आई.एस.आई. की काऊंटर-इंटैलीजैंस विंग का नेतृत्व किया है। उन्होंने नवम्बर-2017 में तहरीक-ए-लब्बैक के प्रदर्शनकारियों द्वारा इस्लामाबाद पर घेराबंदी को समाप्त करने में अहम भूमिका अदा की थी। चरमपंथी बरेलवी समूह लब्बैक चुनाव अधिनियम में पद की शपथ में बदलाव का विरोध कर रहा था। वहीं, इस मुद्दे को शांत कराने के लिए विशेष प्रयासों और देश को बड़ी तबाही से बचाने के लिए सरकार द्वारा जनरल बाजवा का आभार प्रकट किया गया था। उस समय यह भी चर्चा रही थी कि जब प्रदर्शनकारियों की भीड़ तितर-बितर हो गई थी तो एक मेजर जनरल को कथित तौर पर प्रत्येक प्रदर्शनकारी को 1,000 रुपए वितरित करते देखा गया था। गौरतलब है कि उसी वर्ष की शुरूआत में पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट की एक बैंच ने आदेश दिए थे कि सशस्त्र बलों का कोई भी सदस्य किसी भी राजनीतिक गतिविधि में शामिल नहीं होगा।

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