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नई सरकार के लिए कैट ने रखा व्यापारियों का एजेंडा

देश के गैर कॉर्पोरेट क्षेत्र में लगभग 7 करोड़ छोटे व्यवसाय को मोदी सरकार से बड़ी उम्मीदें हैं। यह खेद है कि आजादी के बाद के किसी भी सरकार ने व्यावसायिक समुदाय को अपनी प्राथमिकता पर नहीं लिया है, हालांकि यह हमेशा दोहराया गया था कि व्यापारी अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। इस चुनाव में कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट )के आह्वान पर देश के पूरे व्यापारिक समुदाय ने एकमत से वोट बैंक के रूप में में भाजपा और उसके सहयोगियों दलों को वोट और समर्थन दिया है और इस दृष्टि से व्यापारियों की यह स्पष्ट रूप से आकांक्ष है कि मोदी सरकार निश्चित रूप से व्यापारिक मुद्दों को अपनी प्राथमिकता पर रखेगी।

कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि यह उम्मीद है कि बीजेपी मेनिफेस्टो और पीएम मोदी द्वारा की गई घोषणाओं के अनुसार सरकार जल्द ही खुदरा व्यापार के लिए राष्ट्रीय व्यापार नीति तैयार करेगी और देश में व्यापार के पर्यपत अवसरों को सुनिश्चित करने के साथ राष्ट्रीय व्यापारी कल्याण बोर्ड का गठन करेगी जो देश के व्यापारियों और सरकार के बीच एक सेतु का काम करेगा । जीएसटी का सरलीकरण और युक्तिकरण एक और मुख्य मुद्दा है। कैट ने मांग की है कि जीएसटी के तहत रिटर्न दाखिल करने की प्रक्रिया को और अधिक सरल बनाया जाना चाहिए।

ताकि एक साधारण व्यापारी भी इसका पालन कर सके। मासिक रिटर्न के बजाय त्रैमासिक रिटर्न होना चाहिए। जीएसटी के तहत अलग-अलग टैक्स स्लैब की समीक्षा की जानी चाहिए क्योंकि कई आइटम एक-दूसरे को ओवरलैप कर रहे हैं। कच्चे माल पर कर की दर उसके तैयार उत्पादों की कर दर से अधिक नहीं होनी चाहिए। ऑटो पार्ट्स, एलुमिनियम बर्तन और सीमेंट, मार्बल , पेंट आदि जैसी वस्तुओं को 28% कर स्लैब से बाहर निकाला जाना चाहिए और किफायती आवास को बढ़ावा देने के हर तरह के कंस्ट्रक्शन के सामान को कम कर स्लैब में रखा जाना चाहिए। जीएसटी समितियों का गठन जिला स्तर पर किया जाना चाहिए और व्यापारियों को जीएसटी परिषद में प्रतिनिधित्व दिया जाना चाहिए।

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