पश्चिम बंगाल के बुद्धिजीवियों का एक समूह बंगाली को असम की पहली भाषा बनाने के लिए सोशल मीडिया पर ‘चलो पलटई’ (चलो बदलते हैं) अभियान चला रहा है, जिसकी कई बंगाली संगठनों ने निंदा की है। यह अभियान ऐसे मौके पर शुरू हुआ है, जब नैशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजंस (एनआरसी) के अपडेशन का काम चल रहा है और इस साल 31 जुलाई तक फाइनल एनआरसी पब्लिश होने की उम्मीद है। इस मूवमेंट के खिलाफ पूरे असम के अलग-अलग पुलिस स्टेशनों में एफआईआर दर्ज कराई गई है। असम पुलिस के इंटेलीजेंस विंग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर बताया, हम पूरे कैंपेन की निगरानी करने के साथ सोशल मीडिया और जमीनी हालात पर नजर बनाए हुए हैं। इस कैंपेन को पश्चिम बंगाल के कुछ लोगों ने शुरू किया है।
अधिकारी ने कहा, यह अभियान चलाने वाले का मकसद है कि अगली जनगणना में हिंदू और मुस्लिम बंगाली अपनी मातृभाषा वाले कॉलम में बंगाली लिखें। इस तरह से बंगाली असम की पहली भाषा बन जाएगी। अगली जनगणना 2021 में होने की संभावना है। पुलिस अधिकारी के मुताबिक, असम में कम से कम तीन या चार एफआईआर दर्ज कराई गई हैं। हम मामले की जांच कर रहे हैं। असम के सारे भाषाई अल्पसंख्यक संगठन इस अभियान का विरोध कर रहे हैं।
આગળની પોસ્ટ