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‘मैं तुझे देख लूंगा’ यह कहना धमकी नहीं : गुजरात हाई कोर्ट

अक्सर झगड़े में ‘मैं तुझे देख लूंगा’ कह दिया जाता है । लेकिन अब ऐसा कहने के बाद डरने की जरूरत नहीं है, क्योंकि गुजरात हाई कोर्ट ने इस वाक्य को आपराधिक धमकी मानने से इनकार कर दिया है । गुजरात हाई कोर्ट ने एक वकील के खिलाफ दर्ज एफआईआर को अमान्य घोषित करते हुए यह फैसला सुनाया । साबरकंठा जिले के वकील मोहम्मद मोहसिन छालोतिया ने २०१७ में पुलिसकर्मियों को ‘देख लेने’ और हाई कोर्ट में घसीट लेने की धमकी दी थी । तब से वकील जेल में ही बंद है । गौरतलब बात यह है कि इस केस में वकील ने ही पुलिस की एफआईआर के खिलाफ कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था । मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस ए. एस. सुपेहिया ने कहा, किसी को देख लूंगा कहना धमकी नहीं है । धमकी वह होती है, जिससे पीड़ित के दिमाग में किसी तरह का डर पैदा हो। इस केस में ऐसी कोई बात सामने नहीं आ रही है । इसे अधिकारी को दी गई आपराधिक धमकी नहीं समझा जा सकता है । यह फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने एफआईआर रद्द कर दी । इस मामले में वकील मोहसिन २०१७ में जेल लॉकअप में बंद अपने मुवक्किल से मिलने गए हुए थे। पुलिस ने वकील को कैदी से मिलने से रोक दिया, जिसपर दोनों तरफ से तीखी बहस हो गई। गुस्से में आए वकील ने पुलिसकर्मियों को देख लेने और कोर्ट में घसीटने की धमकी दे डाली । इसके बाद पुलिस ने वकील के खिलाफ सरकारी काम में बाधा डालने और ऑफिसर को उसकी ड्यूटी से रोकने का मामला दर्ज कर लिया ।

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