सरकार को डीर्मोनेटाइजेश के दौरान कुछ कंपनियों की तरफ से बैंको के साथ २१,००० करोड़ रूपये से ज्यादा के लेनदेन होने के बारे में पता चला है । इन कंपनियों का रजिस्ट्रेशन अब खत्म किया जा चुका है । मुखौटा कंपनियों पर शिकंजा कसने के लिए सरकार की तरफ से चलाए गए अभियान के दौरान पता चला कि डीमॉनेटाइजेशन के दौरान ६२,३०० कंपनियों के ८८,००० बैंक खातों से लेनदेन में अप्रत्याशित उछाल आया था । बैंको की तरफ से मुहैया कराए गए डेटा से इसका पता चला है । ये सभी खाते उन कंपनियों के हैं, जिनको दो साल से ज्यादा समय तक निष्क्रिय रहने या रेगुलेटरी नियमों का पालन नहीं करने के चलते रजिस्ट्रार ओफ कंपनीज की लिस्ट से हटा दिया गया है । कॉरपोरेट अफेयर्स मिनिस्ट्री को अब भी बैंको से १.६ लाख कंपनियों के डिटेल मिलने का इंतजार है । मिनिस्ट्री के एक सीनियर अफसर ने बताया, हमने डिपार्टमेंट ओफ फाइनेंशियल सर्विसेज से उन बैंको के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कहा है जिन्होंने रजिस्ट्रार ओफ कंपनीज की लिस्ट से हटा दी गई कंपनियों के ट्रांजैक्शन के बारे में डिटेल्स अब तक नहीं दिए है । पुरी तस्वीर तभी साफ हो पाएगी जब हमें पुरे डेटा मिल जाएंगे । सरकार ने ऐसी कंपनियों के खिलाफ आगे की कार्रवाई के लिए इनके डेटा सेंट्रल बोर्ड ओफ डायरेक्टर टैक्सेज, फाइनेंशियल इंटेलीजेंस युनीट और रिजर्व बैंक औफ इंडिया के साथ शेयर किए है । सरकार ने उन कंपनियों के तीन लाख से ज्यादा डायरेक्टर्स को डिस्क्वालिफाइड कर दिया है जिन्होंने मार्च २०१६ में खत्म तीन साल के फाइनेंशियल स्टेटमेंट्स और या एनुअल रिटर्न दाखिल नहीं किए थे ।
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