सरकार ने एक्सपोट्र्स को बढ़ावा देने और ज्यादा श्रम की जरूरतवाले सेक्टरों में रोजगार के मौके बढ़ाने के लिए कुल ८४५० करोड़ रूपये के इंसेंटिव्स की घोषणा की । यह कदम पांच वर्षो की फोरन ट्रेड पोलिसी कसी मध्यावधि समीक्षा में उठाया गया । इस पोलिसी को २०१५ में लागू किया गया था । मर्चेडाइज एक्सपोर्ट फ्रॉर्म इंडिया स्कीम के तहत इंसेंटिव्स को लेदर, टेक्सटाइल, ऐग्रिकलचर प्रोडक्ट्स और कार्पेट्स के लिए २ से बढ़ाकर ४ पर्सेंट कर दिया गया । निर्यातकों की पूंजी फंसने की समस्या से निपटने के लिए सरकार ने १ अप्रैल २०१८ से ई-वोलिट शूरू करने की योजना बनाई है । जीएसटी पर निर्यातकों की मदद करने के लिए एक्सपट्र्स की एक टीम बनाई जाएगी । केंद्र ने एक्सपोट्र्स अगेंस्ट सेल्फ सर्टिफिकेशन के लिए ड्युटी फ्री इंपोर्ट्स की इजाजत दी है और ड्युटी क्रेडिट स्क्रिप्स की वैलिडिटी बढ़ाकर २४ महीने कर दी है । स्क्रिप्स एक तरह से इंसेंटिव्स है, जिनका उपयोग एक्सपोर्टर कस्टम्स ड्युटी चुकाने में करते है । वाणिज्य एवं उद्योेग मंत्री सुरेश प्रभु ने रिव्यू जारी करते हुए कहा, निर्यात आर्थिक नीति का अहम हिस्सा है और यह विदेश नीति का भी हिस्सा होना चाहिए । उन्होंने कहा, एफटीपी रिव्यू का फोकस नए मार्केट्स और प्रोडक्ट्स तलाशने पर है ताकि परंपरागत बजारों और उत्पादों में भारत का हिस्सा बढ़ाया जा सके । १५ महीनो बाद पहली बार अक्टूबर में निर्यात कम हुआ था । तब एक्सपोट्र्स १.१ पर्सेंट की कमी के साथ २३.१ अरब डॉलर पर आ गया था ।
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