गुजरात विधानसभा चुनाव के ऐलान के बाद बीजेपी और कांग्रेस ने प्रचार तेज कर दिया है । अगले कुछ दिनो में प्रचार और तेज होने की सभावना है । इतिहास पर नजर की जाए तो गुजरात में दो पार्टी के बीच की सीधी टक्कर रही है । बीजेपी और कांग्रेस के बीच गुजरात में सीधी टक्कर देखनो को मिली है । पिछले २२ सालो में गुजरात में बीजेपी का शासन रहा है । इस साल हो रहे चुनाव को लेकर कांग्रेस पार्टी ने सभी ताकात जौक दी है । चुनाव मेदान में उम्मीदवारो की संख्या को लेकर ध्यान दिया जाए तो साल १९६२ में उम्मीदवारो की संख्या ५०० थी जबकि साल १९६७ में उम्मेदवारो की संख्या ५९९ थी साल २००७ में उम्मीदवारो की संख्या ११८० थी जबकि साल २०१२ में उम्मीदवारो की संख्या १६६६ थी इतिहास के आंकडो पर से जान सकते है गुजरात में सिर्फ १९९० और १९९५ के चुनाव में उम्मीदवारो की संख्या में रिकार्ड बढौतरी हुई थी । साल १९६२ में जनसंघ ने सिर्फ २६ उम्मीदवार मेदान में उतारे थे और उसे सिर्फ १.४ फीसदी मत मिले थे । गुजरात में कभी भी अन्य राज्यो की तुलना में अन्य पार्टीओं को महत्व नही मिला है । गुजरात में औसतन निर्दलिय उम्मीदवारो की संख्या प्रति सीट २.६ रही है । दुसरी और उत्तरप्रदेश और बिहार में निर्दलिय उम्मीदवार की संख्या प्रति सीट क्रमशः ४.१९ और ५.५२ रही है
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