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राजस्थान विधानसभा सियासी बवाल के बाद मुख्यमंत्री ने विवादित अध्यादेश को सिलेक्ट कमिटी को भेजा

राजस्थान विधानसभा के अंदर और बाहर सियासी बवाल के बाद मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने विवादित अध्यादेश को सिलेक्ट कमिटी को भेज दिया है । विपक्ष के हंगामे के बाद राजे को बैकफुट पर जाना पड़ा । बताया जा रहा है कि राजे ने कैबिनेट के वरिष्ठ मंत्रियों से इस मसले पर बातचीत के बाद यह फैसला लिया । इस फैसले के बाद बीजेपी नेता और राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यन स्वामी ने इस कदम का स्वागत किया । उन्होंने कहा, बिल को विधानसभा की सिलेक्ट कमिटी को भेजा जाना एक स्मार्ट मूव है । राजे ने अपने लोकतांत्रिक स्वभाव का परिचय दिया है । इसके बाद राजस्थान विधानसभा में जोरदार हंगामे के बीच विधानसभा को दोपहर १ बजे तक के लिए स्थगित की दिया है । कांग्रेस पार्टी इसे अध्यादेश को वापस लेने की मांग कर रही है । राजस्थान हाईकोर्ट में दो जनहित याचिकाएं दायर होने और विधानसभा में मचे हंगामे के बाद सोमवार शाम को वसुंधरा राजे ने चार वरिष्ठ मंत्रियों और बीजेपी चीफ अशोक परनामी को विवादित और दुर्भाग्यपूर्ण कहे जा रहे आदेश पर चर्चा करने के लिए बुलाया था । इस आदेश को लेकर सरकार को लगातार विपक्ष और पार्टी के भीतर ही आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था । बीजेपी को दो विधायक भी इसे काला कानून मान रहे थे । सूत्रों के अनुसार, सोमवार शाम को वसुंधरा सरकारी अफसरों से भी मिलीं और जनता और मीडिया के बीच इस आदेश को लेकर बन रही धारणा और छवि पर भी विचार किया । सूत्रों के हवाले से कैबिनेट मिनिस्टर्स राजेंद्र राठौड, गुलाबचंद कटारिया, अरुण चतुर्वेदी और युनूस खान ने राजे से मुख्यमंत्री आवास पर मुलाकात की । इस अध्यादेश के तहत राजस्थान में अब पूर्व व वर्तमान जजों, अफसरों, सरकारी कर्मचारियों और बाबूओं के खिलाफ पुलिस या अदालत में शिकायत करना आसान नहीं होगा । ऐसे मामलों में एफआईआर दर्ज कराने के लिए सरकार की मंजूरी अनिवार्य होगी ।

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