भारत और चीन के बीच ताजा तनाव के बाद सरकार अब फार्मासूटिकल प्रोडक्ट्स को लेकर चीन पर निर्भरता कम करने की सोच रही है । भारतीय मार्केट मे ंकेवल अच्छी क्वोलिटी की दवाओं की एंट्री सुनिश्वित करने और चीन पर आसरा कम करने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय ड्रग रेग्युलेटरी के साथ मिलकर कई कदम उठाने की तैयारी में है । इस समय, भारत ७०-८० टका दवाओं और मेडिकल डिवाइसेज की आपूर्ति, जिसमें फार्मासूटिकल के लिए कच्चा माल शामिल है, के लिए चीन पर निर्भर है । यदि भारत के कुटनीतिक संबंध चीन के साथ बिगडते है तो यह दवाओं की कमी पर खतरा पैदा करता है । २०१४ में नैशनल सिक्योरिटी अडवाइजर अजित डोभाल ने एपीएल को लेकर चीन पर अधिक निर्भरता के संबंध में सरकार को चेताया था कि किस तरह दोनो देशो के बीच तनाव की स्थिति में भारत के जन स्वास्थ्य पर संकट उत्पन्न हो सकता है । डोभाल की चेतावनी के बाद सरकार ने एक एक्सपर्ट कमिटी का गठन किया जो भारत में एपीएल मैन्युफैक्चरिंग को बढावा देने के लिए विशेष नीति तैयार करेगी । सरकार द्वारा जो जिन रेग्युलेटरी और फाइनैशल उपायो पर विचार किया जा रहा है उनमें प्लांट्स की रुटीन जांच, अधिक रजिस्ट्रेशन चार्ज, लाइसेंस फी में वृद्धि, सोंसिग प्रोसिजर्स को कठिन बनाया, अधिक कस्टम ड्युटी और सप्लाई चेन की गहन जांच शामिल है । ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ओफ इंडिया जीएन सिंह ने कहा हम दोनो देश के बीच व्यापार को सीज नहीं करना चाहते है । विचार ऐसे छोटे विदेशी इकाइयों को रेग्युलेट करने का है जो अच्छी क्वोलिटी की सप्लाई नवा दे रहे हो ।
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