कांग्रेस अब विशेष अभियान चलाने की तैयारी में हैं । देश की सबसे पुरानी पार्टी इस साल बहुप्रतीक्षित बदलाव के लिए तैयार हैं और वह संगठन को फिर से खड़ा करने और जनता के साथ जुड़ने के लिए नए अभियान में जुटी हैं । कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने २ महीने पहले खास वोट बैंक को साधने के लिए अलग अलग यूनिट बनाना शुरु किया थाम । राहुल की इस नयी तैयारी में असगंठित मछुआरो, आदिवासियों, ओबीसी, वर्किग प्रफेशनल्स, एनआरआई से जुड़ी इकाइयां शामिल हैं। नए आरटीआई सेल से लेकर अखिल भारतीय कामगार कांग्रेस और मछुआरा कांग्रेस तक, गांधी का यह अभियान नए उत्साह और कन्फ्यूजन का कोलाज हैं । हम आपकों यहां इसके बारे में विस्तार से बता रहे हैं । यह यूनिट असंगठित सेक्टर को संगठित करने की पहली कोशिश हैं । राजनीतिक तौर पर इसका मतलब प्रवासी मजदूरों और ऐसे बेहद गरीब तबके से जुड़ना हैं जो पारंपरिक तौर पर कांग्रेस के लिए वोट करते थे लेकिन अब अलग अलग राज्यों में विभिन्न पार्टियों ने सफलतापूर्वक इन्हें अपने पाले में कर लिया । इस इकाई का गठन २ अगस्त को किया गया और गठन के कुछ ही दिनों के भीतर इसमें काफी गतिविधियां दिख रही हैं । यूनिट ने राष्ट्रीय और राज्य स्तर के अपने ढांचे को अंतिम रुप दे दिया हैं । इसका मतलब अलग अलग क्षेत्रों से जुड़े कामगारों की पहचान कर उन्हें ग्रुप में संगठित करना हैं । मसलन रिक्शा चलाने वाले, रेहड़ी-पटरी वर्कर्स, कचरा उठाने वाले, बीड़ी वर्कर्स आदि । इस युनिट के चेयरमैन अरविंद सिंह ने बताया कि हमारा मकसद असगंठित क्षेत्र के हर वर्कर तक पहुंचना हैं । तीन महीने के भीतर अखिल भारतीय मछुआरा कांग्रेस ने प्रफेशनल लुक अख्तियार कर लिया हैं । तटवर्ती राज्यों में मछुआरों की सोसायटी और इसकी सहयोगी सेवाओं को एकजुट करने के लिए अभियान शुरु करने से पहले यूनिट ने डिजिटल मीडिया और और जनसंपर्क कार्यो के लिए प्राइवेट फर्म को हायर किया हैं । तमाम संवाद इसी फर्म यानी विसाज मीडिया के जरिए होते हैं ।