सुप्रीम कोर्ट ने विशाल रियल एस्टेट कंपनी जेपी इन्फ्राटेक को तगड़ा झटका देते हुए उसे २७ अक्टूबर तक न्यायालय में २००० करोड़ रुपये जमा कराने का निर्देश दिया । देश की सर्वोच्च अदालत ने जेपी के एमडी और दूसरे डायरेक्टरों को देश छोड़ने से मना कर दिया । सुप्रीम कोर्ट ने एनसीएलटी द्वारा गठित संस्था अंतरिम रेजॉलुशन प्रफेशनल्स (आईआरपी) को जेपी इन्फ्राटेक के प्रबंधन की जिम्मेदारी लेने को कहा । साथ ही, उसने आईआरपी को फ्लैट खरीददारों और देनदारों के हितों की रक्षा के लिए ४५ दिनों के भीतर एक समाधान योजना सौंपने का निर्देश दिया । कोर्ट ने कहा कि हम होम बायर्स की दुर्दशा समझते हैं और यह इंसानों की बड़ी समस्या हैं । हम कंपनियों के हितों को लेकर चिंतित नहीं है, बल्कि हमें ईएमआई पे कर रहे मध्यमवर्गीय घर खरीददारों की चिंता हैं । सुप्रीम कोर्ट ने ये निर्देश चित्रा शर्मा समेत २३ अन्य फ्लैट बायर्स की ओर से दाखिल की सुनवाई के दौरान दिए । जेपी के ३५ हजार घर खरीदारों के सामने तब बड़ी समस्या खड़ी हो गई जब नैशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल (एनसीएलटी) ने १० अगस्त को आईडीबीआई बैंक की उस याचिका को स्वीकार कर लिया जिसमें बैंक ने ५२६ करोड़ रुपये की बकाया राशि पर जेपी इन्फ्रा के खिलाफ इनसॉल्वंसी प्रक्रिया शुरु करने की मांग की गई थी । जेपी इन्फ्राटेक सड़क निर्माण और रियल एस्टेट बिजनस की बड़ी कंपनी हैं । इसी ने दिल्ली से आगरा तक यमुना एक्सप्रेसवे का निर्माण किया था । अभी इस कंपनी पर करीब ८००० करोड़ रुपये का कर्ज हैं । इसमें अकेले आईडीबीआई बैंक का ५२६ करोड़ रुपया हैं ।
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