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चीन का सामना करने के लिए सीमा पर भारत द्वारा रेलवे की जाल बिछाने की तैयारी

डोकलाम विवाद के बाद भारत ने बाद भारत ने जहां एक तरफ चीन सीमा से लगे इलाकों में रोड प्रोजेक्ट्‌स को गति दी है, वहीं अब रेल का जाल बिछाने के लिए भी सर्वे तेज कर दिया गया है । चीन तेजी से सीमा के नजदीक सडको और रेल का जाल बिछा रहा है जिससे उसे फिलहाल भारत पर रणनीतिक बढत हासिल है । अब भारत भी उसे काउंटर करने के लिए सीमा पर इन्फ्रस्ट्रक्चर डिवेलप करने पर फोकस कर रहा है । चीन सीमा से सटे इलाकों में रणनीतिक लिहाज से ४ महत्वपूर्ण रेलवे लाइन्स की योजना को अमलीजामा पहनाने की तैयारी चल रही है । इन चारों लाइनों पर सर्वे के लिए सरकार ने ३४५ करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है जिनमें से रक्षा मंत्रालय की तरफ से ८७ करोड़ रुपये २०१६-१७ के लिए जारी किए जा चुके है । रेल राज्य मंत्री राजेन गोहन ने पिछले साल संसद में एक सवाल के लिखित जवाब में यह जानकारी दी थी । जिन चार स्ट्रैटिजिक रेलवे लाइन्स की तैयारी चल रही है उनमें से एक वेस्टर्न फ्रंट पर बल्कि ३ ईस्टर्न फ्रंट पर है । हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर से मनाली होते हुए लेह तक ४९८ किलोमीटर तक रेलवे लाइन बिछाने के लिए सर्वे चल रहा है । यह दुरी सड़क मार्ग से है लेकिन फाइनल रेलवे लाइन को मंजुरी मिलने के बाद यह दुरी घट बढ़ सकती है । मिसामारी टेंगा (अरुणाचल प्रदेश)-तवांग (अरुणाचल) तक ३७८ किलोमीटर लंबा ट्रैक । पासीघाट (अरुणाचल) तेजु ( अरुणाचल) २२७ किलोमीटर तक ट्रैक और नोर्थ लखीमपुर से सिलापत्थर तक २४९ किलोमीटर लंबी रेलवे लाइन । भारतीय रेलवे के लिए इस ४९८ किलोमीटर ट्रैक को बिछाना सबसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण है । लेह रणनीतिक लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण है । जम्मु कश्मीर के इस जिले के पश्विम में जहां पीओके है वहीं उत्तर और पूरब में चीन से घिरा हुआ है । प्रस्तावित रेलवे लाइन कुछ अति उंचे दर्रो को क्रोस करेगी जिनमें १७,४८० फीट उंचा तगलांग ला भी शामिल है । जाडे़ के ५ महीनो तक ग्राउंड पर कोई भी काम मुमकिन नहीं है । सर्वे को ही पुरा होने में ३ से ४ साल लग सकते है । इसके अलावा प्रस्तावित लाइन सिज्मिक लोन ४ और ५ में आता है जिस वजह से भूकंपरोधी निर्माण भी एक बडी चुनौती है । हिमाचल प्रदेश में कोठी और सिसु के बीच एक लंबा स्ट्रेच ऐसा है जहां भू-स्खलन और हिमस्खलन का खतरा बहुत ज्यादा है । ट्रांसपोर्ट इन्फ्रस्ट्रक्चर के क्षेत्र की सरकारी कंपनी ने इसके लिए सितंबर २०१६ में सर्वे का काम शुरु किया था । रक्षा मंत्रालय ने सर्वे के लिए १५८ करोड़ रुपये आवंटित किए है जिनमें से २०१६-१७ में ४० करोड रुपये जारी कर दिए गए । यह रेलवे लाइन सुंदर नगर, मंडी, मनाली तंडी, केलोंग, तंडी, केलोंग, कोकसार, उपशी और कारु जैसी जगहो से होकर गुजर सकती है । फिलहाल ३ चरण वाले सर्वे का दुसरा चरण चल रहा है जो अगले साल के आखिर में खत्म होगा । उसके बाद ही इस ट्रैक के खर्च का सही सही अनुमान लग सकेगा । सर्वे से जुडे एख विशेषज्ञ ने बताया कि अगर प्रोजेक्ट कोस्ट १ लाख करोड रुपये से ज्यादा हो जाए तब भी हैरानी वाली कोई बात नहीं होगी ।

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