ब्रिक्स सम्मेलन में भारत को बड़ी कूटनीतिक जीत मिली हैं । चीन चाहता था कि भारत इस मंच पर पाक के खिलाफ आतंकवाद का मुद्दा नहीं उठाए, लेकिन ब्रिक्स देशों की ओर से जो घोषणापत्र का मजमून सामने आया है, उसमें आतंकवाद की कड़ी निंदा की गई हैं । और तो और पाकिस्तानी आतंकी संगठन लश्कर ए तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिज्बुल मुजाहिद्दीन की भी कड़ी निंदा की गई हैं । यह घोषणापत्र अहम हैं क्योंकि चीन कई बार जैश- ए-मोहम्मद और हिज्बुल मुजाहिद्दीन की भी कड़ी निंदा की गई हैं । यह घोषणापत्र अहम हैं क्योंकि चीन कई बार जैश -ए-मोहम्मद चीफ मसूद अजहर पर यूएन द्वारा प्रतिबंध लगाए जाने की दिशा में अड़ंगा लगा चुका हैं । भारत आतंकवाद के मुद्दे पर चीन को साथ जोड़ने में कामयाब हो गया हैं । शायमेन डिक्लेरेसन में लिखा है, हम ब्रिक्स देेशों समेत पूरी दुनिया में हुए आतंकी हमलों की निंदा करते हैं। हम सभी तरह के आतंकवाद की निंदा करते हैं, चाहे वो कहीं भी घटित हुए होॆं और किसी ने अंजाम दिया हो । इनके पक्ष में कोई तर्क नहीं दिया जा सकता । हम क्षेत्र में सुरक्षा के हालात और तालिबान, आईएसआईएस अलकायदा और उसके सहयोगी, हक्कानी नेटवर्क, लश्कर ए तैयबा जैश ए मोहम्मद, तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान और हिज्ब -उत-ताहिर द्वारा फैलाई हिंसा की निंदा करते हैं । घोषणापत्र में लिखा है कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में हम इस बात पर जोर दे रहे हैें कि अंतरराष्ट्रीय सहयोग बढ़ाने की जरुरत हैं । यह काम अंतरराष्ट्रीय कानूनों के मुताबिक होना चाहिए । इसमें देशों की संप्रभुता का खयाल रखना चाहिए, अंदरुनी मामलों में दखल नहीं दिया जाना चाहिए । आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में हम एक साथ हैं । संयुक्त राष्ट्र महासभा में अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद के खिलाफ व्यापक संधि को स्वीकार किए जाने के काम में तेजी लाई जानी चाहिए । कट्टरपंथ रोके जाने का प्रयास होना चाहिए । बाद में विदेश मंत्रालय की सचिव प्रीति सरन ने बताया कि सभी ब्रिक्स नेताओं ने आतंकवाद की कड़ी निंदा की। आतंकवाद मुद्दे पर सहयोग बढ़ाने की बात कही ।