केन्द्रीय मंत्री अरुण जेटली द्वारा दायर मानहानि के मामले की सुनवाई तेज करने के जज के फैसले पर सवाल उठाने को लेकर दिल्ली उच्च न्यायालय ने आज दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को फटकार लगाई । जेटली ने केजरीवाल और आप के पांच अन्य नेताओं के खिलाफ मानहानि का मामला दायर कर रखा । कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी हरिशंकर की पीठ ने एकल जज के २६ जुलाई के आदेश के खिलाफ अपील करने वाले आम आदमी पार्टी नेता आशुतोष की भी खिचाई की । पीठ ने कहा कि सुनवाई में हो रही देरी पर अदालत को उच्चत्तम न्यायालय में जवाब देना था । पीठ ने कहा कि हम त्वरित ढंग से सुनवाई कराने के लिए कर्तव्यबद्ध हैं । त्वरित सुनवाई सुनिश्चित करने के लिए किसी एक जज को दोषी नहीं ठहराया जा सकता । पीठ ने कहा कि यह बात अदालत में दायर किए जा रहे हर मामले पर लागू होती हैं । इस मामले में अपना आदेश सुरक्षित रखते हुए पीठ ने कहा कि हम पहली बार सुन रहे हैं कि एक पक्ष त्वरित सुनवाई से दुखी है, क्योंकि यह खत्म हो जाएगा । न्यायाधीशों ने केजरीवाल से पूछा कि वह ऐसी अपीलें क्यों दायर कर रहे हैं । पीठ ने वरिष्ठ वकील अनूप जॉर्ज चौधरी से पूछा आप अपने मुवक्किल को यह सलाह नहीं देते कि ऐसी अपीलें दायर करने की बजाय इस मामले को समापन तक पहुंचने दे। अदालत ने २६ जुलाई को जॉइंट रजिस्ट्रार को निर्देश दिया था कि वह दीवानी मानहानि के मामले में साक्ष्य दर्ज करने की प्रक्रिया चल रही हो तो कोई जज उसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकता । जेटली का पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता संदीप सेठी और राजीव नायर ने अपील का विरोध करते हुए कहा कि इसका उद्देश्य मामलों को लटकाना हैं । आरोपी नेताओ ने जेटली पर आरोप लगाया था कि साल २००० से २०१३ तक डीडीसीए का अध्यक्ष रहने के दौरान उन्होंने भ्रष्टाचार किया था ।