शहर में बारिश ने विराम लेने के बाद म्युनिसिपल सत्ताधीश जल्दी से रास्ते पर के कचरे का निराकरण लाने में विफल साबित हो गए हैं । फिलहाल में राउन्ड में निकले खुद कमिशनर मुकेशकुमार ने गंदगी के ढेर देखकर हेल्थ विभाग के दो उच्च अधिकारियों को नोटिस भेजा गया था । फिर भी अभी प्रशासन में सुधार नहीं हुआ है । इसका उत्तम उदाहरण रात की सफाई ने पेश किया है । क्योंकि कॉर्पोरेशन की रात की सफाई सिर्फ ‘कागज’ पर ही हो रही है । एक तरफ शहर में गंदगी का साम्राज्य होने से मच्छरों का आतंक बढ़ गया है । मच्छरों के आतंक से मलेरिया और जहरीली मलेरिया की बीमारी ज्यादा बढ़ गई है । पिछले एक सप्ताह में मलेरिया के ३६९ मरीज प्रशासन के चोपडे में दर्ज किया गया है । जबकि गैरआधिकारिक तरीके से मलेरिया के ११०० मरीज विभिन्न अस्पताल में उपचार के तहत है । सत्ताधीशों को डोर टू डोर घन कचरे का एकत्रीकरण का नया दृष्टिकोण भी जल्दी से लागू नहीं कर सके है । पुराने कॉन्ट्राक्टरों को कचरे लेने में रूचि नहीं रखते है । आज भी शहर के कुल ४८ वोर्ड में से २० वोर्ड में भी डोर टू डोर के नये कॉन्ट्राक्टरों ने कामकाज नहीं संभाला है । डोर टू डोर के समस्या से भी शहरीजन परेशान है । अहमदाबाद में कचरे का निराकरण जल्दी से नहीं होते होने की लोगों की शिकायत कमिशनर मुकेशकुमार द्वारा मध्यजोन के हेल्थ विभाग के प्रमुख डॉ. दिव्यांग ओझा और पश्चिमजोन के हेल्थ विभाग के प्रमुख डॉ. चिराग शाह को नोटिस भेजने पर सही साबित हुई है । अब कॉर्पोरेशन की रात की सफाई की पोल भी खुल गई है । प्रशासन द्वारा हरएक जोन में महत्व के रास्तों की रात की सफाई के लिए आयोजन निश्चित किया गया है । जिसके अनुसार संबंधित वोर्ड के महत्व के रास्ते, रास्ते पर के सफाई कर्मचारियों की संख्या और सफाई करनेवाली संख्या निश्चित की गई है । फिर भी संबंधित रास्ते की सुबह में खुद मुलाकात के दौरान रात की सफाई की कामकाज का पर्दाफाश हुआ है । शहर के महत्वपूर्ण कुल ३२ रोड में से सिर्फ एक रोड की सफाई वोर्ड द्वारा किया जाता है । अन्य कॉन्ट्राक्ट दिया गया है ।
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