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अयोध्या मामले में अगली सुनवाई पांच दिसम्बर को निर्धारित की

अयोध्या में राम मंदिर और बाबरी मस्जिद टाइटल विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई हुई । कोर्ट ने इस मामले से जुडे कागजात और दस्तावेज के ट्रांसलेशन के लिए ३ महीने का समय दिया हैं । सुनवाई के दौरान सुन्नी वक्फ बोर्ड ने कहा कि मूल एतिहासिक दस्तावेज संस्कृत, पारसी, उर्दू और अरबी में हैं और इनका अनुवाद का काम अभी पूरा नहीं हुआ हैं । इसके बाद कोर्ट ने इसके लिए ३ महीने का वक्त दिया । मामले की अगली सुनवाई अब ५ दिसम्बर को होगी । ३ जजों की स्पेशल बेंच ने इस मामले की सुनवाई की । सुप्रीम कोर्ट में ७ साल बाद अयोध्या मामले की सुनवाई हुई । कोर्ट ने कहा कि ७ भाषा वाले दस्तावेज का पहले का अनुवाद किया जाए । कोर्ट के साथ ही कहा कि वह इस मामले में आगे कोई तारीख नहीं देगा । उल्लेंखनीय है कि इस मामले से जुड़े ९००० पन्नों के दस्तावेज और ९०००० पन्नो में दर्ज गवाहियां पाली, फारसी, संस्कृत, अरबी सहित विभिन्न भाषाओं में हैं, जिस पर सुन्नी वक्फ बोर्ड ने कोर्ट से इन दस्तावेजों को अनुवाद कराने की मांग की थी ।राम मंदिर के लिए हुए आदोलन के दौरान ६ दिसम्बर १९९२ को अयोध्या में बाबरी मस्जिद को गिरा दिया गया था । इस मामले में आपराधिक केस के साथ साथ दीवानी मुकदमा भी चला । टाइटल विवाद से संबंधित मामला सुप्रीम कोर्ट में पेंडिग हैं । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ३० सितम्बर २०१० को अयोध्या टाइटल विवाद में फैसला दिया था । फैसले में कहा गया था कि विवादित लैंड को ३ बराबर हिस्सों में बांटा जाए । जिस जगह रामलला की मूर्ति हैं उसे रामलला विराजमान को दिया जाए । सीता रसोई और राम चबूतरा निर्मोही अखाड़े को दिया जाए जबकि बाकी का एक तिहाई लैंड सुन्नी वक्फ बोर्ड को दिया जाए । इसके बाद ये मामला सुप्रीम कोर्ट के सामने आया । अयोध्या की विवादित जमीन पर रामलला विराजमान और हिंदू महासभा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की । वहीं दूसरी तरफ सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने भी सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अर्जी दाखिल कर दी ।

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