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महाराष्ट्र में अब बिना इजाजत जांच नहीं कर सकेगी सीबीआइ

महाराष्ट्र में अब राज्य सरकार की इजाजत के बिना केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) किसी मामले की जांच नहीं कर सकेगा। महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार ने बुधवार को आदेश जारी कर सीबीआइ के लिए दी गई सामान्य सहमति वापस ले ली है। सूत्रों ने बताया कि महाराष्ट्र सरकार ने 22 फरवरी, 1989 को राज्य में सीबीआइ जांच के लिए सामान्य सहमति दी थी। लेकिन अब उद्धव सरकार ने दिल्ली विशेष पुलिस संस्थापन अधिनियम,1946 की धारा 6 में प्रदत्त अपने अपने अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए सामान्य सहमति वापस ले ली है। इसका मतलब है कि महाराष्ट्र में अब किसी मामले की जांच के लिए सीबीआइ को राज्य सरकार से पूर्व अनुमति लेनी होगी। राज्य सरकार हर मामले पर गौर करने के बाद फैसला कर सकती है। उद्धव सरकार ने यह फैसला सीबीआइ द्वारा टेलीविजन रेटिंग प्वाइंट (टीआरपी) फर्जीवाड़े में लखनऊ में दर्ज केस को अपने हाथ में लेने के एक दिन बाद किया है।
उत्तर प्रदेश सरकार की सिफारिश पर सीबीआइ ने इस मामले को हाथ में लेते हुए एफआइआर दर्ज की थी। मुंबई पुलिस भी इस मामले की जांच कर रही है। जिसमें रिपब्लिक टीवी समेत तीन चैनलों के शामिल होने की बात सामने आई थी। सूत्रों ने बताया कि मौजूदा आदेश का अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत या लखनऊ में दर्ज टीआरपी मामले में पहले से चल रही सीबीआइ जांच पर कोई असर नहीं पड़ेगा। मुंबई में पुलिस ने कहा कि टीआरपी घोटाले की जांच के दौरान दो और चैनलों के इसमें शामिल होने की जानकारी मिली है। इसमें से एक न्यूज चैनल है और एंटरटेनमेंट चैनल। पुलिस ने किसी चैनल का नाम नहीं लिया है। इन दोनों चैनलों पर अपने कार्यक्रम देखने के लिए दर्शकों को पैसे देने का आरोप है। मुंबई पुलिस ने बुधवार को भी रिपब्लिक टीवी के सीएफओ एस सुंदरम और कार्यकारी संपादक निरंजन नारायणस्वामी के बयान दर्ज किए। मुंबई पुलिस इस मामले में अब तक आठ लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है।

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