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बैंक और डाकघर को मिली नई सुविधा

आयकर विभाग ने कहा कि उसने बैंकों और डाकघरों को एक नई सुविधा उपलब्ध कराई है, जिसके माध्यम से आयकर रिटर्न नहीं भरने वालों (नॉन फाइलर्स) के मामले में 20 लाख रुपए से अधिक और आयकर रिटर्न दाखिल करने वालों के मामले में एक करोड़ रुपए से अधिक नकद निकासी पर लागू टीडीएस दर का पता लगाया जा सकता है। इस सुविधा का ब्यौरा देते हुए केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने कहा कि अब बैंक या डाकघर को टीडीएस दर का पता लगाने के लिए सिर्फ उस व्यक्ति का पैन भरना होगा, जो नकद निकासी कर रहा है।
बयान में कहा गया कि अभी तक इस सुविधा के तहत 53,000 से ज्यादा सत्यापन अनुरोधों को पूरा किया जा चुका है। सरकार ने नकद लेनदेन को हतोत्साहित करने के लिए बैंकों या डाकघरों से एक करोड़ रुपए से अधिक की नकद निकासी पर 2 प्रतिशत की दर से टीडीएस लगाने की व्यवस्था की है, हालांकि इसमें कुछ अपवाद भी शामिल हैं।
कैश निकासी पर नया टीडीएस 1 जुलाई से लागू हो गया है लेकिन इसकी गणना वित्त वर्ष 2020-21 के तहत 1 अप्रैल 2020 से ही होगी। सरकार की कोशिश है कि डिजिल ट्रांजैक्शन को ज्यादा से ज्यादा बढ़ावा मिले। डिजिटल ट्रांजैक्शन से ट्रांसपरेंसी बढ़ती है और काले धन और टैक्स चोरी पर अंकुश लगता है। कैश ट्रांजैक्शन बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार को भी बढ़ावा देता है। लिहाजा सरकार ने कैश ट्रांजैक्शन के नियम कड़े किए हैं। टीडीएस इनकम टैक्स का एक हिस्सा होता है और इसका मतलब होता है टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स यानी स्रोत पर टैक्स कटौती। सरकार इसके लिए इनकम के सोर्स पर ही टैक्स काट लेती है। सैलरी, किसी निवेश प मिले ब्याज या कमीशन आदि पर टीडीएस काटा जाता है।

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