मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने गुजरात का डिजास्टर मेनेजमेन्ट विश्व के विसकित देशों के लिए मिशाल बना है । आपत्ति व्यवस्थापन में गुजरात ने जो नीति, पद्धति विकसित की है उसका अनुसरण विश्व में आपत्ति के समय पुनःवसन और पुनःनिर्माण के लिए प्रभावित करेगा । गुजरात इऩ्स्टीट्यूट ओफ डिजास्टर मेनेजमेन्ट जीआईडीएम के तहत सार्क डिजास्टर मेनेजमेन्ट सेन्टर का उद्धाटन किया गया था । सार्क देशो के प्रतिनिधियों के लिए आयोजित तीन दिन के लिए तालीम कार्यक्रम का आयोजन हुआ है । यह तालीम कार्यक्रम की थीम एप्लीकेशऩ ओफ स्पेश टेकनोलोजी इन मोनिटरिंग एन्ड मेनेजिंग रिस्क रखा गया है । अफगानिस्तान, भूतान, बांग्लादेश, नेपाल, मालदीव्स के सार्क राष्ट्रों के करीब २० प्रतिनिधि इस तालीम कार्यक्रम में उपस्थित रहे थे । मुख्यमंत्री ने कहा कि २००१ के कच्छ के भूकंप में पुरे कच्छ को नष्ट कर दिया था । तब कच्छ का पुनःनिर्माण नहीं होगा यह संभावना सता रही थी । इसे गुजरात के नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में एशिया के सबसे पुनः निर्माण कार्य का वैजज्ञानिक पद्धति से आरंभ कर उसे गलत साबित कर दिया था । विजय रुपाणी ने कहा कि गुजरात ने जनशक्ति के सहयोग और प्रशंसनीक प्रतिबद्धता से आपत्ति के समय सामर्थ्य से देश-दुनिया को पुनःवर्सन के लिए नई दिशा दिखाई है । आपत्ति में से भविष्य में ऐसी स्थिति पैदा होतो इससे बाहर निकलने गुजरात ने स्टेट डिजास्टर मेनेजमेन्ट अथोरिटी की रचना की है । राज्य में पांच इमरजन्सी रिस्पोन्स सेन्टर तथा जिला तहसील ब्लोक पर आपत्ति प्रवधन प्लान बनाए गए हैं । राज्य की नगरपालिकाओं को भी डिजास्टर मेनेजमेन्ट के उपकरणों से सज्ज किया गया है । गुजरात देश का ऐसा अग्रीम राज्य है जिसने हेजार्ड रिस्क वल्नरेबिलिटि एटलास तैयार किया है ।
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