रिजर्व बैंक ने सरकार को जून २०१७ को समाप्त वित्त वर्ष में ३०६५९ करोड़ रुपये का लाभांस देने की घोषणा की हैं । यह लाभांस पिछले साल के मुकाबले करीब आधा हैं । विश्लेषकों के अनुसार नोटबंदी के कारण नए नोटों की छपाई समेत अन्य कारणों से रिजर्व बैंक की ओर से सरकार को मिलनेवाले लाभांस में कमी आई हैं । पिछले वित्त वर्ष में रिजर्व बैंक ने सरकार को लाभांस के रुप में ६५८७६ करोड़ रुपये दिए थे । केन्द्रीय बैंक ने एक बयान में कहा कि रिजर्व बैंक के केन्द्रीय निदेशक मंडल ने आज हुई बैठक में ३० जून २०१७ को समाप्त वित वर्ष के लिए अधिशेष राशि ३०६.५९ अरब रुपये (३०६५९ करोड़ रुपये) भारत सरकार को ट्रांसफर करने का फैसला किया हैं । हालांकि शीर्ष बैंक ने कम लाभांस दिए जाने के बारे में कुछ नहीं बताया । बजटीय अनुमान के सरकार ने रिजर्व बैंक से २०१७-१८ में ५८००० करोड़ रुपये के लाभांस मिलने का अनुमान रखा था । सरकार ने चालू वित्त वर्ष में रिजर्व बैंक, सरकारी बैंको और वित्तीय संस्थानों से ७४९०१.२५ करोड़ रुपये के लाभांस का अनुमान रखा गया था । इसके पीछे के कारणों को बताते हुए रिजर्व बैंक के पूर्व डेप्युटी गवर्नर आर गांधी ने कहा कि पिछले कुछ साल से रिटर्न कम हो रहा है जिसका कारण विकसित देशों में नकारात्मक ब्याज दरें हैं । उन्होने कहा कि बैंकों में नकदी बढ़ने के कारण रिजर्व बैंक रिवर्स रीपो पर धन उधार लेता रहा है और ब्याज दे रहा हैं । इससे उसके राजस्व पर असर पड़ा । विश्लेषकों के अनुसार रिजर्व बैंक की आय में कमी का एक कारण नई मुद्रा की छपाई की लागत भी हैं । इसके अलावा ५०० और १००० रुपये के नोटों को चलन से हटाने के बाद की व्यवस्था को संभावने पर भी रिजर्व बैंक की लागत बढ़ गई ।