अहमदाबाद शहर को यूनेस्को द्वारा गत ८ जुलाई को हेरिटेजसीटी का दर्जा देने के बाद अब म्युनिसिपल सत्ताधीशों पर यूनेस्को की गाइडलाइन के अनुसार कोट क्षेत्र का विकास करना यह कठिन हो गया है एक तरफ ऐतिहासिक बिल्डिंगों की देखभाल के लिए वर्ष २०१३ में म्युनिसिपल द्वारा पारित किया गया टीडीआर के कानून के अनुसार चार वर्ष में २६९६ बिल्डिंगों में से सिर्फ छह बिल्डिंगों को ही टीडीआर दिया गया है तो दूसरी तरफ बिल्डरों को यह क्षेत्र के विकास के लिए और एफएसआई की मांग कर रहे है । इस बारे में जानकारी है कि, अहमदाबाद शहर के कोट क्षेत्र में किया गया सर्वे के अनुसार कुल मिलाकर २६९६ ऐतिहासिक बिल्डिंगों जिसमें हवेली भी शामिल है । यह बिल्डिंगों की देखभाल और सुरक्षा के लिए म्युनिसिपल प्रशासन द्वारा वर्ष-२०१३ में ट्रेडेबल डेवलोपमेन्ट राइटस मालिकों को देता कानून पारित किया गया था जिसके तहत चार वर्ष में सिर्फ छह मालिकों को ही यह राइटस दिया गया है । म्युनिसिपल प्रशासन के एक सीनियर अधिकारी के बताये अनुसार, लोग यह मामले में उदासीन होने के पीछे का मुख्य कारण है कि एक बार यह राइटस ले उसके बाद यह मालिक यह बिल्डिंग बेच नहीं सकता है । इसी वजह से बदली हुई मानसिकता के अनुसार हरएक यह चाहता है कि उनके हाल के मकान को तोड़कर वहां बड़ी बिल्डिंग बने तो ज्यादा आय होगी । दूसरी तरफ कोट क्षेत्र के विकास के लिए म्युनिसिपल द्वारा जो दो जोन आर-वन और आर-टू में बांटा गया है जिसमें फिलहाल मिलनेवाला एफएसआई अनुक्रम में २.७ और १.८ रखा गया है जो बिल्डरों को कम पडती होने से बिल्डर भी विकास के लिए आगे नहीं आते है । लेकिन अब हेरिटेजसीटी का दर्जा मिलने के बाद यूनेस्को की गाइडलाइन के अनुसार, शहर के हेरिटेज की देखरेख के लिए विशेष ट्रस्ट की रचना की जायेगी इतना ही नहीं लेकिन बिल्डरों को ज्यादा एफएसआई मिले इसके लिए स्पेशियल परपज ऑन व्हीकल प्रोग्राम के तहत एक निश्चित आयोजन किया जाएगा ।