अहमदाबाद शहर को यूनेस्को द्वारा वैश्विक हेरिटेज दिया गया हो फिर भी यह दर्जा शर्त के तहत है इसके अलावा डोजीयर में बताया गया एक भी ऐतिहासिक मामले को नुकसान नहीं पहुंचे ऐसी विशेष शर्त रखी गई है । इस परिस्थिति में म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन की स्टेन्डिंग कमिटी में पिछले पांच वर्ष में ऐतिहासिक एलिसब्रिज सहित पांच बिल्डिंगों को तोड़ने का विवादित प्रस्ताव पारित किया गया था जो काफी विरोध के बाद स्थगित रखना अनिवार्य हो गया था । यदि यह बिल्डिंग तोड़ दी जाती तो अहमदाबाद के पास यह टेग नहीं होता । इस बारे में जानकारी यह है कि, वर्ष-२०११ में शहर के मेयर के तौर पर असित वोरा कार्यरत थे उनके समय में १२५ वर्ष से भी पुराने ऐतिहासिक एलिसब्रिज को तोड़कर इसके साथ नया ब्रिज बनाने की और इसके लोहे का भंगार को बेचने की स्टेन्डिंग कमिटी में प्रस्ताव पारित किया गया था । जिसकी भारी विरोध हुआ था । इसके अलावा शहर के लालदरवाजा क्षेत्र में स्थित पुराने जामा मस्जिद के हिस्से को तोड़कर रोडलाइन का कार्यान्वयन करने के लिए वर्ष-२०१२ में प्रस्ताव पारित किया गया था । जिसका भारी विरोध किया गया था । विपक्ष कांग्रेस के पूर्व नेता बदरूद्दीन शेख ने एक बातचीत में कहा है कि, वर्ष-२०१२ और २०१३ में वीएस अस्पताल के मेडिकल सुप्रिटेन्डन्ट बैठते है यह ऐतिहासिक बिल्डिंग तोड़ना और बहेरामपुरा वोर्ड में स्थित बाबा लवलवी की मस्जिद तोड़ देने का प्रस्ताव पारित किया गया था जो जनआंदोलन होने पर स्थगित रखा गया था । इसके साथ ही वर्ष-२००२ में ईसनपुर क्षेत्र में स्थित ऐतिहासिक ईशन मलिक की दरगाह को तोड़ देने का प्रशासन द्वारा प्रयास किए जाने पर मामला कोर्ट तक पहुंच गया था जिसमें स्टे दिए जाने पर काम रोका गया था । इतिहासकारों के बताये अनुसार, शहर में वर्षों से चल रहा गुर्जरी बाजार को भी म्युनिसिपल प्रशासन द्वारा दूसरी जगह पर ले जाने का प्रयास किया गया था । यदि यह सभी प्रस्तावों के विरूद्ध शहर के लोग जागृत नहीं होते तो आज अहमदाबाद शहर को ऐतिहासिक शहर बनाने का गौरव नहीं मिला होता ।