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अहमदाबाद हेरिटेज : दो गैर गुजराती की मेहनत रंग लाई

अहमदाबाद शहर को पोलेन्ड के कारको में हुई हेरिटेज कमिटी की बैठक में शनिवार को भारतीय समय अनुसार रात को ९.४५ बजे विश्वस्तर के हेरिटेज सीटी का दर्जा दिया गया उस समय में आज से २० वर्ष पहले इस मामले में शुरूआत करनेवाले दो गैर गुजराती अधिकारियों की मेहनत आखिर में काम आयी है । इस बारे में जानकारी यह है कि, वर्ष १९९७-९८ में अहमदाबाद शहर के म्युनिसिपल कमिशनर के तौर पर पूर्व म्युनिसिपल कमिशनर केशव वर्मा कार्यरत थे । उन्होंने अहमदाबाद शहर की ऐतिहासिक पहचान ली हो उस समय में हेरिटेज सेल की रचना की थी । इसके अलावा यह हेरिटेज सेल के प्रमुख के तौर पर दूसरे गैर गुजराती अधिकारी देबाशिष नायक की नियुक्ति की गई थी । उस समय में म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन की स्टेन्डिंग कमिटी द्वारा हेरिटेज सेल कामकाज कर सके इसके लिए २५ लाख रुपये के बजट आवंटित करायी गई थी । अहमदाबाद शहर की भूगोल भी नहीं जानते देबाशिष नायक को केशव वर्मा ने नियुक्त करके उस समय में देबाशिष की नियुक्ति के विरूद्ध एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया था । फिर भी देबाशिष नायक ने पूर्व कमिशनर केशव वर्मा के मानसिक सपोर्ट की मदद से अहमदाबाद के कोट क्षेत्र में स्थित खाडिया क्षेत्र की देसाई की पोल के मकान को अपना निवास स्थान बनाकर अहमदाबाद के ऐतिहासिक धरोहर को जानने का प्रयास शुरू किया गया था । इस दौरान पूर्व स्वास्थ्य मंत्री और खाडिया के विधायक स्वर्गस्थ अशोक भट्ट, स्वर्गस्थ आसुतोष भट्ट और अन्य ने खाडिया इतिहास समिति की रचना की थी । जिसमें खाडिया में स्थित देसाई की पोल, धोबी की पोल से लेकर कई पोल के इतिहास को संपादित करने की जिम्मेदारी आसुतोष भट्ट को सौंपा गया था । उस समय में पूर्व कमिशनर केशव वर्मा को खबर हुई कि,सुभाषचंद्र बोझ खाडिया की धोबी की पोल में रहते थे । उसके बाद उन्होंने नेताजी की जन्मजयंति का उत्सव धोबी की पोल के पास करायी थी । पूर्व कमिशनर केशववर्मा और देबाशिष नायक जो हाल अहमदाबाद यूनिवर्सिटी के साथ जुड़ी हुई है यह दोनों ने पहलीबार अहमदाबाद शहर के कालुपूर क्षेत्र में स्थित स्वामीनारायण मंदिर से हेरिटेज वोक की शुरूआत करायी थी । यह हेरिटेज वोक आज २० वर्ष बाद भी अहमदाबाद शहर में पहले की तरह स्थायी तरीके से चल रही है । हेरिटेज सीटी का अहमदाबाद शहर को आज वैश्विक दर्जा मिला है । अहमदाबाद शहर में आज से दो दशक पहले डयुटी करनेवाले दो गैर गुजराती अधिकारियों के उस समय के प्रदान को आज भी याद कराना चाहिए क्योंकि आज जो भी मिला है इसके पीछे यह दोनों गैर गुजराती अधिकारी का महत्वपूर्ण योगदान रहा है । इसके अलावा म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन ने एक करोड़ रुपये के खर्च के साथ डोजीयर तैयार करके यूनेस्को में भेजा था यह डोजीयर में पेश की गई अधिकतर जानकारी खाडिया इतिहास समिति द्वारा तैयार किया गया पुस्तक के आधार पर पेश किया गया था ।

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