अगर आप किसी उचित कारण से ३० जून तक ५०० और १००० रुपये के पुराने नोट बैंक में जमा नहीं करा पाए तो आपको एक और मौका मिल सकता हैं ।सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार और आरबीआई से पूछा कि जो लोग नोटबंदी के दौरान किए वक्त में पुराने नोट जमा नहीं करा पाए , उनके लिए कोई विंडो क्यों नहीं हो सकती । कोर्ट ने कहा कि जो लोग उचित कारणों के चलते रुपये बैंक में जमा नहीं करा पाए, उनकी संपत्ति सरकार इस तरह नहीं छीन सकती हैं । साथ ही कोर्ट ने कहा कि जिन लोगों के पास पुराने नोट जमा कराने का सही कारण है, उन्हें मौका दिया जाना चाहिए । एक महिला की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार से कहा कि अगर उचित कारण वाले लोगों को एक और मौका नहीं दिया जाता हैं तो इसे गंभीर मुद्दा माना जाएगा । देश की सर्वोच्च अदालत ने सवाल किया कि अगर रुपये जमा कराने की अवधि में अगर कोई जेल में रहा होगा तो वो रुपये कैसे जमा कराता । कोर्ट ने कहा कि ऐसे हालात को समझते हुए सरकार को चाहिए कि ऐसे लोगों के लिए कोई ना कोई विंडो जरुर दें । सुप्रीम कोर्ट की इन टिप्पणियों पर केन्द्र सरकार ने जवाब देने के लिए दो हफ्ते का वक्त मांगा । सुप्रीम कोर्ट एक महिला की याचिका पर सुनवाई कर रहा हैं । जिसमें उसने कहा था कि वो नोटबंदी के वक्त अस्पताल में थी और उसने बच्चे को जन्म दिया था, इस वजह से से तय समय सीमा पर पुराने नोट जमा नहीं कर सकी । इशके अलावा भी कई अर्जी दाखिल की गई है और पुराने नोट जमा कराने के लिए विंडो खोले जाने की गुहार लगाई है और कहा गया है कि वाजिब कारणों से वह नोट जमा नहीं करा पाए । इससे पहले २१ मार्च को कोर्ट कहा था कि जिन लोगों ने ३० सितम्बर तक पुराने नोट जमा नहीं कराये, उनको एक विंडो देना चाहिए । चीफ जस्टिस जेएस खेहर की अगुवाई वाली बेंच ने सोलिसीटर जनरल रंजीत कुमार से कहा है कि वह इस मुद्दे पर केन्द्र सरकार का निर्देश लेकर आए ।
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