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राइट टू एज्यूकेशन एक्ट का अमल नहीं होने पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और निजी स्कूलों को फटकार

राइट टू एज्यूकेशन एक्ट की राज्यभर में असरकारक तरीके से लागू नहीं होने पर और अभी भी कई निजी स्कूलों ने गरीब और जरूरतमंद बच्चों को प्रवेश देने में परेशान करते होने का मुद्दा उपस्थित करती पीआईएल में बुधवार को गुजरात हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और निजी स्कूलों को फटकार लगाई थी । हाईकोर्ट ने निजी स्कूलों के रवैये की और सरकार के सत्ताधीशों के रवैये की आलोचना की थी । हाईकोर्ट ने एक समय में ऐसा कहा था कि, बच्चों के पढ़ने के अधिकार की स्कूलों ने और प्रशासन ने मानो मजाक बना दिया है । गरीब और जरूरतमंद बच्चों को पढ़ने का अधिकार है और प्रशासन की लापरवाही ही स्कूलों की मनमानी के कारण उनके भविष्य पर गंभीर पड़े यह बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है ।हाईकोर्ट ने इस केस में राज्य सरकार सहित के संबंधित सत्ताधीशों को नोटिस जारी करके उनको आगामी अवधि तक में खुलासा के साथ जवाबी एफिडेविट पेश करने का आदेश करके केस की आगे की सुनवाई जुलाई महीने में रखी थी । आरटीई एक्ट के मुद्दे पर हाईकोर्ट के समक्ष हुई पीआईएल में मतलब के मुद्दे उपस्थित किए गए थे, राइट टू एज्यूकेशन एक्ट का शहर सहित राज्यभर में असरकारक तरीके से लागू नहीं हो सका है । अभी भी कानून को लागू करने में त्रुटि रह गई है, तो निजी स्कूलों ने गरीब और जरूरतमंद बच्चों को प्रवेश देने में मनमानी की है । कई स्कूलों ने बच्चों को कक्षा-१ में प्रवेश देने के बाद पीछे से प्रवेश रद्द कर दिया था । कई बच्चों को उनके घर के दूर की स्कूलों में प्रवेश दिया गया है जबकि प्रावधान ऐसा है कि, बच्चों को उनके घर से निकट छह किलोमीटर की दूरी पर स्कूल में प्रवेश देना लेकिन इसे असरकारक तरीसे से लागू नहीं किया गया है । कई बच्चों को आरटीई के तहत प्रवेश दिया गया फिर भी उनके अभिभावकों के पास से फीस वसूल की गई है । अर्जीकर्तापक्ष की तरफ से मोरबी की सर्वोपरी स्कूल का उदाहरण देकर किस तरीके से स्कूल में से बच्चों को निकाला गया इसकी जानकारी पेश की गई थी ।

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