वित्तमंत्री ने कहा कि जीएसटी पर राज्यों के साथ चर्चा के दौरान पेट्रोलियम और शराब जैसे मुद्दों पर कुछ कड़ा विरोध था क्योकि राज्य अपना कराधान अधिकार छोड़ने के पक्ष मंे नहीं हैं । उन्होंने कहा कि यदि हमने उस पर जोर दिया होता तो सहमति नहीं बन पाती । संविधान संशोधन के तहत पेट्रोलियम उत्पादों पर जीएसटी के तहत कर, जब भी जीएसटी परिषद तय करे, लगाया जा सकता हैं । जीएसटी लागू होेने के बाद एक दो साल में परिषद को इस पर पुनर्विचार का फिर मौका मिलेगा । जेटली ने कहा कि वह व्यक्तिगत रुप से दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया द्वारा रियल एस्टेट को जीएसटी के दायरे में लाने के प्रस्ताव पक्ष में थे लेकिन कुछ अन्य राज्य इसके पक्ष में नहीं थे ।