केन्द्र में नरेन्द्र मोदी सरकार ने जीएसटी को लेकर विपक्षी दलों को साध लिया हैं । जहां सांसद में जीएसटी पास कराने के लिए विपक्ष ने सत्तारुढ़ दल के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम किया वहां अब ३० जून की रात जीएसटी लॉन्च के लिए रखे भव्य आयोजन से वह कतरा रही हैं । दरअसल संसद में जीएसटी पास कराने और सर्वदलिय जीएसटी काउसिंल द्वारा नियमों पर आम राय बनाना देश में राजनीतिक दलों की एकजुटता का नमूना हैं । वहीं अब ३० जून के कार्यक्रम में शरीक होने से विपक्षी दलों को डर है कि वह महज मोदी सरकार की इस बड़ी उपलब्धि में मूक दर्शक बन कर रह जाएंगे । गौरतलब है कि जहां भाजपा की कोशिशों के चलते सभी राजनीतिक दलो ने मोदी सरकार के कार्यकाल में आम सहमति बना ली यह अपने आप में मोदी सरकार की बड़ी उपलब्धि है क्योंकि इससे पहले केन्द्र में बैठी मनमोहन सरकार तमाम कोशिशों के बावजूद सभी राजनीतिक दलों को देश के सबसे बड़े टैक्स सुधार के लिए एक मंच पर नहीं ला पाई थी । लिहाजा, जैसे-जैसे १ जुलाई की तारीख नजदीक आ रही है विपक्ष मोदी सरकार के ३० जून के मेगा कार्यक्रम से कटती नजर आने लगी हैं । जहां कुछ पार्टियां दावा कर रही हैं कि मोदी सरकार बिना पूरी तैयारी के इतने बड़े टैक्स रिफोर्म को अंजाम देने जा रही हैं वहीं कुछ दलों का मानना है कि मोदी सरकार अकेले ही जीएसटी का पूरा श्रेय लेना चाहती है ।बीते कुछ दिनों से विपक्षी पार्टियां ३० जून को जीएसटी लॉन्च के बॉयकोट की योजना पर भी काम कर रही हैं । राजनीतिक जानकारों का मानना है कि जीएसटी लॉन्च के लिए २८ जून की तारीख बेहद अहम हैं । क्योंकि इस दिन विपक्ष द्वारा आगे की गई राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार मीरा कुमार अपना नामांकन दाखिल करेगी । इस कार्यक्रम में शामिल होने वाले ज्यादातर दलों से उम्मीद है कि वह जीएसटी लॉन्च के बॉयकोट में भी अहम भूमिका निभाएंगे ।