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बिहार चुनावों में भाषा पर संयम बनाए रखना चाहिए : पासवान

केंद्रीय मंत्री एवं लोजपा (लोक जनशक्ति पार्टी) नेता रामविलास पासवान ने कहा कि इस साल के अंत में होने वाला बिहार विधानसभा चुनाव स्थानीय विकास के मुद्दों पर लड़ा जाएगा और चुनाव में भाषा पर संयम बनाए रखना चाहिए। दिल्ली विधानसभा चुनाव प्रचार में कटु बयानों के बाद भाजपा के सहयोगी दल के नेता की यह टिप्पणी महत्वपूर्ण मानी जा रही है। निर्वाचन आयोग ने दिल्ली विधानसभा चुनाव प्रचार में कुछ भाजपा नेताओं को भड़काऊ भाषण देने को लेकर फटकार लगाई थी। पासवान ने कहा कि बिहार में राजग गठबंधन एकजुट है और उन्होंने भरोसा जताया कि यह दो-तिहाई बहुमत से सरकार बनाएगा क्योंकि विपक्ष ‘‘डूबा हुआ जहाज” है।
बिहार में राजग गठबंधन की स्थिति के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, लोजपा मजबूती से राजग के साथ बनी हुई है। उन्होंने कहा है कि जहां तक नीतीश कुमार जी का संबंध है तो मुझे नहीं लगता कि वह कहीं और जाएंगे। वहीं उन्होंने यह भी कहा कि लालू यादव जेल में हैं, उनकी सेहत ठीक नहीं है, बाकी पार्टियां अलग-अलग राग अलाप रही हैं। तो कौन विपक्ष में जाएगा। यह डूबता जहाज नहीं है बल्कि डूब चुका जहाज है। वे अपने बीच के लोगों से ही लड़ रहे है। राजग एकजुट है।
चिराग ने कहा कि चुनाव का मुद्दा विकास है। अनुच्छेद 35ए के साथ अनुच्छेद 370 रद्द करना, तीन तलाक पर प्रतिबंध और राम जन्मभूमि मुद्दा भी हल कर लिया गया तो अब राज्य चुनाव स्थानीय मुद्दों पर होने चाहिए। लोजपा नेता ने कहा, राष्ट्रीय चुनावों में नरेंद्र मोदी का कोई सानी नहीं है। हाल ही में हुए राज्य चुनावों में यह साबित हुआ कि ध्यान विकास के स्थानीय मुद्दों पर केंद्रित होना चाहिए और भाषा पर संयम रखना चाहिए। उन्होंने आगे कहा, झारखंड में उनकी पार्टी भाजपा के साथ समझौता नहीं कर पाई लेकिन अगर वे करते तो नतीजे बेहतर होते।
पासवान ने कहा, हमारी पार्टी कभी भी कोई अनुचित लाभ नहीं चाहती। 2014 में हम सात सीटों पर लड़े। 2019 से पहले अखबारों ने कहना शुरू कर दिया कि हमें 2-3 सीटें मिलेगी इसलिए चिराग ने स्पष्ट किया कि हम 7 सीटों पर लड़ें और इतनी ही सीटों पर लड़ेंगे। हमने अमित शाह और अरुण जेटली से बात की और सात सीटों पर लड़े तथा उनमें से सभी पर जीत दर्ज की। उन्होंने कहा कि सीएए, एनपीआर तथा राष्ट्रीय नागरिक पंजी को लेकर सभी संदेह दूर किए जा चुके हैं। दिल्ली विधानसभा चुनाव के बाद अब सभी की निगाहें बिहार चुनावों पर हैं जो इस साल अक्टूबर और नवंबर में होने हैं।

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