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भारत से कारोबार समेटने की तैयारी में वॉलमार्ट

ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री समेत देश के सभी सेक्टर मंदी की मार झेल रहे हैं, जिससे लाखों लोगों की नौकरी पर संकट गहरा गया है। भारतीय अर्थव्यस्था की सुस्ती और ग्लोबल मंदी की आशंका में अब तक हजारों लोग बेरोजगार हो चुके हैं और सैंकड़ों की नौकरी पर खतरा मंडरा रहा है। इसी का असर है कि ओयो होटल्स के बाद अब अमेरिकी कंपनी वॉलमार्ट की भारतीय ईकाई वॉलमार्ट इंडिया भी अपने स्टोर्स के बिजनस से जुड़े शीर्ष अधिकारियों (सीनियर एग्जिक्यूटिव) में से एक तिहाई अधिकारियों को हटाने का प्रयास कर रही है।
वॉलमार्ट इंडिया लगातार घाटे के कारण अपने कैश एंड कैरी कारोबार को समेटने में जुट गई है, जिस​के तहत कंपनी ने गुरुग्राम स्थित मुख्यालय में काम करने वाले सोर्सिंग, ऐग्री बिजनस और FMCG डिविजन के वाइस प्रेसिडेंट्स सहित 100 से अधिक सीनियर एग्जिक्यूटिव्स की छंटनी करने का फैसला कर लिया है। इतना ही नहीं वॉलमार्ट की योजना मुंबई में फुलफिलमेंट सेंटर बंद करने की भी है, जो देश में कंपनी का सबसे बड़ा वेयरहाउस है। इसके साथ कंपनी भारत में और ज्यादा स्टोर भी नहीं खोलेगी।
दरअसल भारत में वॉलमार्ट को कारोबार शुरू किए हुए करीब 10 साल हो गए हैं, लेकिन कंपनी की ग्रोथ धीमी है। शीर्ष अधिकारियों की मानें तो यह छटनी का पहला दौर है और हमें अप्रैल तक ऐसा दोबारा होने का अनुमान है। बता दें कि वॉलमार्ट इंडिया के बेस्ट प्राइस स्टोर्स का मार्च 2019 तक 2,180.8 करोड़ रुपये का लॉस था। पिछले वित्तीय वर्ष में वॉलमार्ट इंडिया की सेल्स 4,095 करोड़ रुपये और नेट लॉस 171.6 करोड़ रुपये था। कैश-ऐंड-कैरी सेगमेंट में इसकी प्रतिद्वंद्वी मेट्रो टॉप पर है. मेट्रो के 27 स्टोर हैं और इसका रेवेन्यू 6,500 करोड़ रुपये से अधिक है।

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