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वोडाफोन-आइडिया बंद होती है तो सबसे बड़ा लाभ भारती एयरटेल को

टैलीकॉम कंपनियों की हालत ठीक नहीं है। कर्ज का बोझ इतना बढ़ चुका है कि संचालन मुश्किल हो रहा है। टैलीकॉम सैक्टर की हालत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वोडाफोन-आइडिया के चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला ने पिछले हफ्ते कहा कि अगर कंपनी को सरकार मदद उपलब्ध नहीं कराती है तो यह बंद हो सकती है। उन्होंने साफ-साफ कहा कि वह इस कंपनी में और ज्यादा पैसा निवेश नहीं करने वाले। कंपनी को 3 महीनों में 44,150 करोड़ रुपए से अधिक की आवश्यकता होगी। वहीं अगर वोडाफोन-आइडिया की दुकान बंद होती है तो इसका सबसे बड़ा लाभ भारती एयरटेल को होगा। कुमार मंगलम ने कहा कि अगर सरकार से राहत नहीं मिलती है तो मजबूरी में हमें अपनी दुकान (वोडाफोन-आइडिया) बंद करनी पड़ेगी। उन्होंने कहा कि इस बात का कोई मतलब नहीं कि डूबते पैसे में और पैसा लगा दिया जाए। बिड़ला ने कहा कि राहत न मिलने की स्थिति में वह कंपनी को दीवाला प्रक्रिया में ले जाएंगे।
वोडाफोन-आइडिया के वर्तमान में 31.1 करोड़ से ज्यादा ग्राहक हैं जिनमें से 7.3 प्रतिशत पोस्टपेड ग्राहक हैं जोकि दूरसंचार कंपनियों के बीच इस तरह का सबसे बड़ा हिस्सा है। विश्लेषकों के अनुसार ये ग्राहक इसके राजस्व का 20 प्रतिशत हिस्सा हैं। इसके विपरीत एयरटेल के पास पोस्टपेड पर 5.6 प्रतिशत ग्राहक हैं और इसने इस सैगमैंट में सबसे बड़ा खिलाड़ी बनने की रणनीति बनाई है और अगर वोडाफोन-आइडिया बंद हो जाती है तो इन उच्च-भुगतान वाले ए.आर.पी.यू. (प्रति उपयोगकत्र्ता औसत राजस्व) ग्राहकों का एक बड़ा हिस्सा एयरटेल में चला जाएगा क्योंकि रिलायंस जियो के पास इसकी तरह व्यापक पोस्टपेड की पेशकश नहीं है और प्रीपेड बाजार में खेलना पसंद करते हैं। इस स्पेस में जियो की केवल एक पेशकश है (199 रुपए में), जिसका ग्राहक आधार का केवल 1 प्रतिशत है। दूसरा, वोडाफोन-आइडिया के ग्राहक 2जी फोन का इस्तेमाल करते हैं और उनमें से कुछ ही डाटा का इस्तेमाल करते हैं। नवीनतम आंकड़ों के आधार पर, कंपनी के पास लगभग 20 करोड़ 2जी ग्राहक हैं, जिनमें से केवल 3.8 करोड़ डाटा का उपयोग करते हैं। विश्लेषकों का कहना है कि एयरटेल के लिए इन ग्राहकों को लुभाना आसान होगा क्योंकि वे हैंडसैट या सिम कार्ड को बदले बिना अपने 2जी नैटवर्क में आसानी से शिफ्ट कर सकते हैं (वे पोर्ट आऊट कर सकते हैं)। दूसरी तरफ, जियो में केवल एक 4जी नैटवर्क है। इसके अलावा, इसकी चुनौती इस तथ्य से है कि टैरिफ भी 15 प्रतिशत से 40 प्रतिशत तक बढ़ गए हैं, जिससे 2जी ग्राहकों को नैटवर्क छोडऩे से पहले 2 बार सोचने के लिए मजबूर होना पड़ता है।
भारती एयरटेल का विश्वास उस समय परिलक्षित हुआ जब कंपनी के चेयरमैन सुनील मित्तल की अगुवाई में उसकी गोल्डमैन सेच्स के साथ मीटिंग हुई। यह कहा गया कि कंपनी को विश्वास था कि उद्योग में बाजार के पुन: आबंटन की स्थिति में, टैलीकॉम 50 प्रतिशत की वृद्धिशील बाजार हिस्सेदारी (इंक्रीमैंटल मार्कीट शेयर) पर कब्जा कर लेगी और यह कि वृद्धिशील राजस्व वैरी हाई एबिटा (ब्याज, कर, मूल्यह्रास और परिशोधन से पहले आय) मार्जिन पर आ सकती है। इसका मतलब यह है कि एयरटेल 15 करोड़ से अधिक अतिरिक्त ग्राहकों की तलाश कर सकती है, जो वोडाफोन-आइडिया बंद होने की स्थिति में इसे मिल सकते हैं। यह कंपनी को 42.9 करोड़ से अधिक ग्राहक संख्या तक पहुंचने में मदद करेगा। इतना ही नहीं, पोस्टपेड ग्राहकों का अधिग्रहण, टैरिफ वृद्धि के साथ-साथ जो पहले ही घोषित किया जा चुका है, एयरटेल के लिए ए.आर.पी.यू. को 200 रुपए और फिर 300 रुपए तक बढ़ाने के अपने घोषित उद्देश्य को प्राप्त करना आसान बना देगा। बेशक, जियो के लिए एक अवसर है। अगर एयरटेल वोडाफोन-आइडिया के आधे ग्राहक आधार (बेस) को उठा लेती है तो बाकी जियो में चला जाएगा और मुकेश अंबानी की कंपनी वर्तमान में 35 करोड़ से 50 करोड़ ग्राहकों तक पहुंचने के अपने लक्ष्य के काफी करीब होगी।
तीसरा, वोडाफोन-आइडिया का एक जीवंत उद्यम व्यवसाय है और इसके ग्राहक एक विकल्प की तलाश करेंगे। एयरटेल के पास एक जीवंत उद्यम व्यवसाय है, जो पहले से ही अपने राजस्व का 22 प्रतिशत और अपने एबिटा का 15 प्रतिशत हिस्सा रखता है और इसका विविध और बड़ा ग्राहक आधार है। फिर भी वोडाफोन-आइडिया के बंद होने से सरकारी खजाने को बड़ा नुक्सान होगा। सरकार को उस पैसे को वसूलना मुश्किल होगा जो सुप्रीम कोर्ट ने कंपनी को इन्सॉल्वैंसी (दीवालिया) रूट के नीचे जाने पर भुगतान करने के लिए कहा है। आई.बी.सी. (इन्सॉल्वैंसी बैंकरप्सी कोड-दीवाला और दीवालियापन संहिता) प्रक्रिया के तहत, दूरसंचार विभाग केवल दावेदारों में से एक हो सकता है। दूसरा, आस्थगित स्पैक्ट्रम भुगतानों से आश्वस्त वार्षिक आय (सरकार ने 2 साल के लिए स्थगन की घोषणा की है) नहीं आएगी। वोडाफोन आइडिया अब तक सरकार को स्पैक्ट्रम शुल्क के तौर पर 59,467 करोड़ रुपए का भुगतान कर चुकी है और उसे कुल 1,39,960 करोड़ रुपए चुकाने हैं। बाकी 89,180 करोड़ रुपए का भुगतान वोडाफोन आइडिया को 2034 तक करना है, जिसमें विभिनन्न किस्तों पर लगने वाला ब्याज शामिल है।

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