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१८०० एंप्लॉयीज को करोड़ से अधिक सैलरी देता हैं इन्फोसिस

विदेशी साइट्‌स पर काम करने वाले १८०० एंप्लोयीज को इन्फोसिस १ करोड़ से अधिक की सालाना सैलरी दे रहा हैं । इनमें से १५० लोगों को पिछले साल कंपनी ने हायर किया था । इससे पता चलता है कि विदेश में एंप्लोयीज की संख्या बढ़ाने से इन्फोसिस की लागत बढ़ सकती हैं । सैलरी के ये आंकड़े काफी अहमियत रखते हैं क्योंकि पिछले महीने कंपनी ने बताया था कि वह अमेरिका में १०००० लोगों को हायर करेगी । आईटी इंडस्ट्री को अभी अमेरिका जैसे विकसित देशों में बढ़ते संरक्षणवाद जैसी चुनौती का सामना करना पड़ रहा हैं । वित्तवर्ष २०१७ में कंपनी ने भारत में सिर्फ ५० एंप्लोयीज को १ करोड़ से अधिक सैलरी दी थी । देश में कंपनी के १५१९५६ एंप्लोयीज हैं । वहीं, विदेश में कंपनी के कर्मचारियों की संख्या ४८४०० हैं । इनमें से १८०० को करोड़ रुपये से अधिक की सैलरी मिलती हैं। हालांकि विकसित देशों में कंपनी स्किल्ड प्रफेशनल्स को मोटी सैलरी देती हैं । उन्हें विदेशी करंसी में वेतन का भुगतान किया जाता हैं । भारतीय आईटी कंपनिया वीजा पाबंदियों की वजह से अमेरिका में शुरु में फ्रेशर्स को हायर करेगी । लेकिन इससे भी उनकी लागत बढ़ने के आसार हैं । दरअसल यहां की सभी आईटी कंपनियां एक जैसे टैलंट के लिए मुकाबला करेगी । ऐसे मंे उनमें फ्रेशर्स को अधिक सैलरी देने की होड़ दिख सकती हैं । यह बात आईटी अडवाइजरी फर्म एवरेस्ट रिसर्च के सीईओ पीटर बेंडर सैमुएल ने कही हैं । कॉस्ट प्रेशर से बचने के लिए कंपनियां कॉलेज से सीधे हायरिंग कर रही हैं । उन्हें पहले साल में ऐसे एंप्लोइंज को ७०००० डोलर की सैलरी देनी पड़ेगी, तो तुलनात्मक रुप से कम हैं । हालांकि इनके एक्सपीरियंस हासिल करते ही उनकी सैलरी १२५००० -१५०००० डॉलर (८०-९६ लाख रुपये) के मार्केट एवरेज तक पहुंच जाएगी । मिसाल के लिए अमेरिका के डलास जैसे मार्केट में एक्सपीरियंस्ड सॉफ्टवेयर डिवेलपर की शुरुआती सैलरी १२५००० डोलर सालाना हैं, जो सीनियर आर्किटेक्स के लिए २००००० डोलर तक हैं । भारतीय आईटी कंपनियां देश में १ करोड़ से अधिक सैलरी पाने वाले एंप्लोइंज की संख्या बताती हैं लेकिन ऐसे विदेश में काम करने वाले कर्मचारियों की सैलरी की जानकारी अक्सर नहीं दी जाती ।

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