नई दिल्ली। दिल्ली और आस-पास के राज्यों में छाए प्रदूषण के काले बादलों की वजह से दमघोंटू हुई हवा से निपटने में नाकाम सरकारों से सर्वोच्च न्यायालय ने कड़ी नाराजगी जाहिर करते हुए केंद्र सरकार से तुरंत जवाब देने को कहा है। सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र समेत राज्य सरकारों को फटकार लगाते हुए कहा कि इन हालातों में आखिर कैसे जिया जा सकता है। सोमवार को शीर्ष अदालत ने केंद्र और दिल्ली सरकार से पूछा कि आखिर आप हवा को बेहतर करने के लिए क्या कर रहे हैं। इसके अलावा कोर्ट ने हरियाणा और पंजाब सरकार से भी पूछा कि आप पराली जलाने में कमी लाने के लिए क्या कर रहे हैं। कोर्ट ने कहा, ‘इस तरीके से नहीं जिया जा सकता। केंद्र सरकार, राज्य सरकार को कुछ करना चाहिए। इस तरह से नहीं चल सकता। यह बहुत ज्यादा है। शहर में कोई कमरा, कोई घर सेफ नहीं है। हम इस पलूशन के चलते जिंदगी के कीमती साल गंवा रहे हैं।’
सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार ने आधे घंटे के अंदर आईआईटी दिल्ली से किसी पर्यावरण एक्सपर्ट और मंत्रालय से किसी को बुलाने को कहा। केंद्र को कहा है कि वह उनसे आधे घंटे के अंदर समाधान पूछे, जिससे इस स्थिति से निपटा जा सके। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘हालात बहुत खराब हैं। केंद्र और राज्य सरकार क्या करने वाली हैं? पलूशन को कम करने के लिए आप क्या करेंगे? सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा को पराली कम जलाने को भी कहा।’ सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पराली जलाने पर तुरंत रोक लगनी चाहिए जिसके लिए राज्य सरकारों को कदम उठाने होंगे। प्रशासन को सख्त कदम उठाने होगें और अधिकारियों के साथ साथ ग्राम प्रधान तक की जिम्मेदारी तय होनी चाहिए।
शीर्ष न्यायालय ने माना कि दिल्ली में कोई भी जगह सुरक्षित नहीं बची है। चाहे वह किसी का घर ही क्यों न हो। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि शहर का दम घुट रहा है लेकिन दिल्ली सरकार और केंद्र आरोप-प्रत्यारोप में उलझे हैं। सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली हर साल घुटती जा रही है, लेकिन हम कुछ नहीं कर पा रहे। ऐसा हर साल 10-15 दिनों के लिए होने लगा है। ऐसा किसी सभ्य देश में नहीं होता। जीने का हक सबसे जरूरी है। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि इस तरह से हम नहीं जी पाएंगे। केंद्र और राज्य सरकार को कुछ करना होगा।
ऐसा नहीं चल सकता। यह बहुत ज्यादा हो चुका है। इस शहर की कोई जगह सुरक्षित नहीं है। यहां तक कि घर भी सेफ नहीं। इसकी वजह से हम अपने जीवन के कीमती साल खो रहे हैं। “हर साल पलूशन हो रहा है और यह 10-15 दिनों तक जारी है। हर साल पलूशन हो रहा है और यह 10-15 दिनों तक जारी है, यह सभ्य देशों में नहीं किया जा सकता है। जीवन का अधिकार सबसे महत्वपूर्ण है। यह हमारे जीने का तरीका नहीं है।