दो साल पहले नरेन्द्र मोदी सरकार पर विपक्ष ने सूट बूट की सरकार होने का आरोप लगाते हुए हमला किया था । तीन साल पूरा होते होते एनडीए सरकार ने सामाजिक कल्याण की अपनी योजनाओं के जरिए विपक्ष के आरोपों को गलत साबित करने की कोशिश की हैं । ईटी ने केन्द्र सरकार की सामाजिक कल्याण से जुड़ी कुछ बड़ी योजनाओं का जायजा लिया हैं । कुछ योजनाएं पुरानी हैं । कुछ में बदलाव किया गया हैं और कुछ बिल्कुल नई हैं । सशक्तीकरण विभाग हमेशा से नेत्रहीनों और शारीरिक तौैर पर अक्षम लोगों को जरुरी डिवाइस मुहैया कराकर उनकी मदद करता रहा था । हालांकि मोदी सरकार के आने के बाद इस पर फोकस काफी बढ़ गया और तमाम पार्टियों के सांसद अपने निर्वाचन क्षेत्रों में स्पेशल कैंप लगाने के लिए इस विभाग से अनुरोध कर रहे हैं । सरकार ने पिछले ३ साल में ४७१८ कैंप लगाए हैं जिससे इस स्कीम के तहत ६.४० लाख लाभार्थियों को फायदा पहुंचा हैं । २०१२-१३ और २०१३-१४ में ऐसे कैपों की संख्या महज ३७ रही थी । मोदी ने मनरेगा की आलोचना करते हुए इसे यूपीए सरकार की नाकामी का जीता जागता नमूना बताया था । हालांकि बाद में मोदी सरकार ने बजट में इसके लिए रिकोर्ड ४८००० करोड़ का आवंटन किया । ग्रामीण विकास मंत्रालय में जोइंट सेक्रेटरी और इस स्कीम की प्रभारी अपराजिता सारंगी ने बताया कि २०१४ के बाद से इसमें कई तरह के सुधार हुए हैं । उन्होंने कहा कि सबसे पहले सरकार ने इससे जुड़ी अडवाइजरी को कम किया । कई सर्कुलर थे, जिनमें से कुछ विरोधाभासी थे । हमने पाया कि स्कीम के शुरु होने के बाद से १०३९ अडवाइजरी जारी किए गए थे ।