उन्होंने ५ साल की उम्र में ही ऐक्टिंग लाइन में जाने का मन बना लिया था । वह खुद पर दबाव महसूस नहीं करते बल्कि अपने काम पर फोकस करना जरूरी मानते हैं । हम बात कर रहे हैं देओल परिवार की तीसरी पीढ़ी यानी की करण देओल की । वह अपने दादाजी को शायरियां लिखते देखते थे तो उन्होंने उसे देखकर अपनी जेनरेशन के हिसाब से रैप करना शूरू कर दिया था । करण ने फैमली की फिल्मी परंपरा को आगे बढ़ा दिया है । फिल्म पल पल दिल के पास से करियर की शुरुआत कर चुके करण बीते दिनों लखनऊ आए तो हमने उनसे पहली फिल्म और रियल लाइफ से जुड़े अनुभवों के बारे में जाना । मुझे बचपन से ही फिल्मे देखने का शौक रहा है । पापाजी के पास डीवीडी का बड़ा कलेक्शन है । उसकी सारी फिल्में मैं देख चुका हूं । नतीजा यह रहा कि उस उम्र में मैं दिन-दिनभर टीवी के सामने बैठा रहता था । मैं कल्पना की दुनिया में खो जाता था । कई बार फिल्म देखते देखते इतना डूूब जाता था कि खुद को ही हीरो समझने लगता था । ऐक्टिंग में मेरा ध्यान फिल्म मेकिंग की ओर लगने लगा ।
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