भारत को दुनिया में सबसे अधिक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) पाने वाला देश बनने का प्रयास करना चाहिए। केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी तथा संचार मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने मंगलवार को कहा कि सबसे अधिक विदेशी निवेश पाने के लिए भारत में सब कुछ हो रहा है। उन्होंने कहा कि भारत की एक गतिशील डिजिटल पृष्ठभूमि है, बड़ा बाजार है और विदेशी कंपनियों को आकर्षित करने के लिए अनुकूल नीतियां हैं। प्रसाद ने कहा कि आर्थिक वृद्धि की तेज रफ्तार, वैश्विक स्तर पर भारत का बढ़ता प्रभाव और नागरिक केंद्रित डिजिटल बदलाव की पहल ऐसी स्थितियां हैं जो ‘अपरिवर्तनीय’ हैं। संभावित निवेशकों को आकर्षित करने का प्रयास करते हुए मंत्री ने कहा कि सरकार उनकी पहुंच में है और उनका स्वागत करने को तैयार है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे कंपनियों के साथ काम करते समय निवेशक अनुकूल रवैया अपनाएं। प्रसाद ने कहा कि विनिर्माण में कर राहत की हालिया घोषणा के बाद भारत में कर व्यवस्था वियतनाम और थाइलैंड जैसी हो गई है।
प्रसाद ने कहा कि यदि किसी विदेशी निवेशक के साथ मेरे अधिकारी अच्छा बर्ताव नहीं करते हैं, मुझे उसकी शिकायत मिलती है तो तो मुझे यह अच्छा नहीं लगेगा। ‘‘मैं चाहता हूं कि मेरी टीम उनकी पहुंच में हो और खुले दिल से उनसे बात करे। हमें निवेश की जरूरत है।” प्रसाद ने कहा कि भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है। संचार मंत्री ने ‘इन्वेस्ट डिजिकॉम 2019′ को संबोधित करते हुए कहा कि आर्थिक विकास में यदि देश की परिपक्वता का स्तर यह है तो हम एफडीआई पाने में नौवें नंबर पर क्यों हैं। मेरा मानना है कि भारत दुनिया का प्रमुख एफडीआई केंद्र होना चाहिए। हमें इस लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में काम करना है। उन्होंने कहा कि भारत में इसके लिए हर काम हो रहा है। प्रसाद ने कहा कि देश में पिछले कुछ साल के दौरान भारत में विदेशी निवेश में उछाल आया है यह 2018-19 में यह 64 अरब डॉलर रहा। दूरसंचार क्षेत्र में 2.67 अरब डॉलर का एफडीआई आया। वहीं इलेक्ट्रॉनिक्स, कंप्यूटर साफ्टवेयर और हार्डवेयर में कुल मिलाकर 6.4 अरब डॉलर का विदेशी निवेश आया। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में देश में एफडीआई प्रवाह 16.3 अरब डॉलर रहा, जो एक साल पहले समान अवधि में 12.7 अरब डॉलर था।