जिस अनुपात में गुजरात के अंदर कुत्ते काटने के मामले सामने आ रहे हैं उससे यह किसी महामारी के रूप में उभर रहा है । राज्य के स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार, २२ जुलाई से १८ अगस्त के बीच महज चार हफ्तों में पूरे गुजरात के अंदर २७,२९९ कुत्तों के काटने के मामले सामने आए हैं । इन आंकड़ों को देखें तो राज्य में हर रोज औसतन १,००० लोग कुत्तों के काटने का शिकार हो रहे हैं । विडंबना यह है कि सौराष्ट्र में भावनगर जिला लोगों के लिए एक सुरक्षित ठिकाना बना है, क्योंकि इस अवधि में यहां से एक भी कुत्ते काटने का मामला दर्ज नहीं किया गया । आठ नगर निगमों में से सबसे ज्यादा शिकायतें अहमदाबाद में सामने आईं । अहमदाबाद में ३,९२० शिकायतें दर्ज हुईं । यह संख्या सूरत और वडोदरा में दर्ज किए गए कुत्तों के हमले के मामलों से तीन गुना और राजकोट के मामलों की संख्या से आठ गुना ज्यादा हैं । कुत्ते के काटने की इतनी अधिक संख्या चिंता का कारण है । खासकर इस समय, जब रेबीज का टीका बाजार में आसानी से उपलब्ध नहीं है । गुजरात के फेडरेशन ऑफ केमिस्ट्स ऐंड ड्रगिस्ट असोसिएशन के अध्यक्ष अल्पेश पटेल ने कहा कि रैबीज का स्टॉक सरकारी अस्पतालों में पर्याप्त रूप से उपलब्ध है, बाजार में निश्चित रूप से ऐंटी-रेबीज टीकों की आपूर्ति कम है । उन्होंने कहा कि निजी अस्पतालों और क्लीनिकों में रेबीज के इंजेक्शन आसानी से नहीं लगते हैं । अहमदाबाद स्थित प्रकृतिवादी हसीब शेख ने चेतावनी दी है कि अगस्त-सितंबर कुत्तों के प्रजनन का मौसम होता है और इसलिए इन दिनों उनका व्यवहार अधिक आक्रामक हो जाता है । वहीं कुछ अपने पिल्लों की देखभाल करते हैं और इसलिए आक्रामक होते हैं । उन्होंने कहा कि इस मौसम में कुत्ते सामान्यता पार्टनर के लिए प्रतिस्पर्धा से गुजरते हैं इसलिए उनका टेस्टोस्टेरोन का स्तर हाई हो जाता है । लोगों को ऐसी सड़कों से गुजरने से बचना चाहिए जहां कुत्तों का झुंड बैठा हो । अहमदाबाद नगरपालिका के एक वरिष्ठ अधिकारी (एएमसी) अधिकारी ने बताया कि कई लोग आवारा कुत्तों को करुणावश होकर खाना खिलाते हैं जिससे उनकी आबादी बढ़ रही है । २०१० से २०१७ के बीच अहमदाबाद में कुत्तों के काटने के मामलों में ८७ फीसदी वृद्धि दर्ज की गई थी ।
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