रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने देश की आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान 2019-20 के लिए घटाकर 6.3 फीसदी कर दिया जो पहले 6.9 फीसदी था। उसने देश में आर्थिक नरमी का फैलाव अंदेशे से ज्यादा व्यापक और गहरा करार दिया। क्रिसिल की यह टिप्पणी उस समय आई है जब हर तरफ देश की आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 25 तिमाहियों के निचले स्तर यानी पांच फीसदी पर आने की चर्चा है। यह पड़ोसी देश पाकिस्तान की वृद्धि दर 5.4 फीसदी से भी कम है। इसकी अहम वजह विनिर्माण गतिविधियों में ठहराव और निजी उपभोग में कमी आना है।
एजेंसी ने एक नोट में कहा कि यह अनुमान दूसरी तिमाही से मांग बढ़ने और सबसे महत्वपूर्ण अर्थव्यवस्था के इसी रफ्तार से बाकी बची अवधि में वृद्धि करते रहने की उम्मीद पर आधारित है। नोट के अनुसार, ‘‘हमें वित्त वर्ष 2019-20 की दूसरी तिमाही में तुलनात्मक आधार प्रभाव कमजोर रहने के चलते वृद्धि दर में हल्के सुधार 6.3 फीसदी रहने की उम्मीद है।” इसके अलावा मौद्रिक नीति और उसके अनुरूप बैंकों के तेजी से क्रियान्वयन, न्यूनतम आय सहायता योजना से किसानों की ओर मांग बढ़ने इत्यादि के चलते भी आर्थिक वृद्धि में फिर से तेजी आने की उम्मीद है।
देश के ऑटो, एफएमसीजी से लेकर टेक्सटाइल इंडस्ट्री तक में सुस्ती का माहौल है। इस वजह से कंपनियां प्लांट बंद कर रही हैं तो वहीं लाखों लोगों की छंटनी हो चुकी है। बता दें कि करीब 7 साल पहले यूपीए सरकार में वित्त वर्ष 2012-13 की पहली तिमाही में जीडीपी के आंकड़े 4.9 फीसदी के निचले स्तर पर थे। बता दें कि मोदी सरकार ने अगले पांच साल में देश को 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनाने का लक्ष्य रखा है, लेकिन एक्सपर्ट्स का कहना है कि इसके लिए लगातार कई साल तक सालाना 9 फीसदी की ग्रोथ रेट होनी चाहिए।
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