कश्मीर से अनुच्छेद ३७० के ज्यादातर प्रावधानों को हटाए जाने के बाद से पाकिस्तान बौखलाया हुआ है । उसने यूएन से लेकर मुस्लिम देशों तक का दरवाजा खटखटाया लेकिन हर जगह निराशा ही हाथ लगी । अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने भी सोमवार को स्वीकार किया कि कश्मीर का मामला द्विपक्षीय है और उन्होंने पीएम मोदी पर भरोसा जताया । फ्रांस में मोदी और ट्रंप की मुलाकात के कुछ देर बाद ही पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने अपनी आवाम को संबोधित करते हुए खुद को कमजोर बताते हुए कहा कि आज उनका साथ कोई नहीं दे रहा है । इस दौरान इमरान ने परमाणु युद्ध की धमकी भी दी और कहा कि ऐसे युद्ध का कोई नतीजा नहीं निकलेगा और दुनिया तबाह हो जाएगी । दरअसल, इस समय पाकिस्तान के आर्थिक हालात काफी खराब हैं । ऐसे में इमरान खान ने अपने संबोधन के जरिए अपनी आवाम को साधने की कोशिश की ।
उन्होंने कहा कि कश्मीर का मुद्दा वह न्यू यॉर्क और अन्य बड़े देशों के सामने उठाएंगे । उन्होंने कहा कि इस मामले में यूएनएससी की बैठक होने से ही मामला अंतरराष्ट्रीय हो गया है और पूरी दुनिया का ध्यान खींचा गया है । आपको बता दें कि यूएनएससी की बैठक में भी भारत ने स्पष्ट किया था कि यह भारत का आंतरिक मामला है और किसी को दखल देने की जरूरत नहीं है । इमरान खान ने निराशा जताते हुए कहा कि आज दुनिया की ताकतें और मुसलमान देश भी मजबूरी की वजह से उनके साथ नहीं हैं लेकिन वक्त के साथ वह उनका साथ जरूर देंगे । उन्होंने कहा, आप मायूस न हों, हम पूरी दुनिया में कश्मीर के ऐंबेसडर बनेंगे । मैं २७ सितंबर को यूएन में यह मुद्दा उठाऊंगा । अपने नए प्रॉपेगैंडा की बात करते हुए इमरान ने कहा कि कश्मीर के लोगों को भरोसा देने के लिए पूरे देश में हर हफ्ते एक इवेंट किया जाएगा जिसमें स्कूल, कॉलेज और सरकारी दफ्तरों के लोग हिस्सा लेंगे । उन्होंने कहा कि इस शुक्रवार को सभी लोग दोपहर १२ से १२ः३० बजे के बीच बाहर निकलेंगे । यूएन में कश्मीर का मुद्दा उठाने के बाद पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ी । इस पर इमरान खान ने कहा यूएन की जिम्मेदारी है कि कमजोर के साथ खड़े हों लेकिन वह हमेशा ताकतवर का ही साथ देता है । सवा अरब की आबादी आपकी तरफ देख रही है ।