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J&K : शमीम ने मेडिकल तो सुरेश ने सिविल सेवा में लहराया परचम

जम्मू कश्मीर के हालात से हम सब वाकिफ हैं। मुश्किल हालात के चलते यहां के लोगों खासकर युवाओं को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में यहां के युवा अपने बुलंद हौसलों से मुश्किल हालात को मात देकर मंजिल हासिल कर रहे हैं। कश्मीर के युवा विकास की राह पर अग्रसर हैं। राजौरी जिले की बेटी इरमिम शमीम और उधमपुर के सुरेश सिंह इसके सबसे बड़े उदाहरण हैं। जहां शमीम ने जून में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) की प्रवेश परीक्षा पास कर ऐतिहासिक मुकाम हासिल किया है। तो वहीं सुरेश सिंह ने कश्मीर प्रशासनिक सेवा में 10 वीं रैंक प्राप्त की है। दोनों ने काफी मुश्किल बाधाओं से लड़कर ये मुकाम हासिल किया है। शमीम ने एम्स की प्रवेश परीक्षा पास कर ऐतिहासिक मुकाम हासिल किया है। जानकारी अनुसार एम्स में दाखिला लेने वाली वह जिले की पहली गुर्जर महिला हैं। सुरेश एक बुक-बाइंडर है, जिसने प्रशासनिक सेवा में 10 वीं रैंक प्राप्त की है।
सीमावर्ती जिले के धनोर गांव की रहने वाली शमीम की राह काफी मुश्किल भरा था। इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि उसे स्कूल जाने के लिए हर दिन 10 किलोमीटर की पैदल दूरी तय करनी पड़ती थी। गांव में कोई अच्छा स्कूल नहीं था। यही नहीं पिछड़े समुदाय से ताल्लुक रखने वाली शमीम काफी गरीब परिवार से आती है, लेकिन अपनी कड़ी मेहनत से न सिर्फ उसने तमाम बाधायों से पार पा लिया, बल्कि इस प्रमुख संस्थान में प्रवेश पा लिया। शमीम ने कहा ‘हर किसी के जीवन में कोई न कोई समस्या होती है। आपको चुनौतियों से लड़ना होगा और सफलता निश्चित रूप से आपको मिलेगी।’ इस दौरान उसने बताया कि उसके इस मुकाम से परिवार काफी खुश है। वो उसे डॉक्टर बनकर जम्मू-कश्मीर व देश के लोगों की सेवा करते हुए देखना चाहता है। शमीम के चाचा लियाकत चौधरी ने शमीम की सफलता पर खुशी व्यक्त की और कहा कि लड़कियां इस क्षेत्र की आशा हैं। उन्होंने कहा ‘जम्मू और कश्मीर की लड़कियों ने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हर क्षेत्र में अपनी प्रतिभा दिखाई है।’
जम्मू-कश्मीर के उधमपुर में बुक-बाइंडर सुरेश सिंह ने कश्मीर प्रशासनिक सेवा में 10 वीं रैंक प्राप्त की है। इस सफलता को लेकर सुरेश ने कहा कि यह लंबी प्रक्रिया थी, लेकिन वे हार नहीं माने और लगातार प्रयास करते रहे। उन्होंने अपने पिता को अपना प्रेरणास्रोत बताया। सुरेश सिंह ने कहा कि यह उनका ही सपना था कि मुझे अच्छी नौकरी मिले। इसलिए मैंने उनके सपने को पूरा करने के लिए दिन-रात पढ़ाई की। जिला विकास आयुक्त, एजाज असद ने शमीम उपलब्धि की सराहना की है और भविष्य में पढ़ाई जारी रखने के लिए हर संभव मदद का आश्वासन दिया है।बता दें कि जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद यहां धीरे धीरे हालात सामान्य हो रहा है। धीरे-धीरे यहां जन-जीवन पटरी पर लौट रहा है। इलाकों से पाबंदी भी हटाई जा रही है।

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