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जब कश्मीर गुनगुनायेंगा- ये कहां आ गये हम भारत के साथ चलते चलते..!

भारत के अभिन्न अंग समान जम्मू-कश्मीर से मोदी सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद घाटी में स्थित श्रीनगर सचिवालय से राज्य का झंडा हटा दिया गया है। अब वहां सिर्फ और सिर्फ भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा बडी आन-बान और शान से लहरा रहा है। मानो जिस कश्मिर के लिये भाजपा के नेता श्यामाप्रसाद मुखर्जी का कश्मिर का बलिदान सफल हुवा। कश्मिर को भारत से अलग थलग करनेवाले दुश्मनों की छाती पर 56 इंच का सीना रखनेवाली सरकार ने तिरंगा फहरा दिया। जिसे देख कर भाजा और संघ परिवार के हज्जारो और लाखो कार्यकर्ताओं की आंखे नम हुइ होंगी और मन में यबह भी कहा होंगा कि की जहां हुये बलिदान मुखर्जी वह कश्मिर अब हमारा है…! पिछले हफ्ते तक एक राज्य दो विधान-दो संविधान और दो झंडे के तहत दोनों झंडे तिरंगा और कश्मिर का एक साथ लगे हुए थे। अब सभी सरकारी दफ्तरों पर तिरंगा ही लगाया जाएगा। जम्मू-कश्मीर से संसद ने अनुच्छेद 370 को हटा देने के बाद इसके तहत राज्य को जो विशेषाधिकार मिलते थे, वह खत्म कर दिए गए हैं। 370 दफन हो गइ।
भारत के साथ होते हुये भी अब तक जम्मू-कश्मीर का अपना अलग संविधान, अपना झंडा और अपनी दंड संहिता होता था। अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद अब वहां भारतीय संविधान लागू होगा। सरकारी इमारतों पर भी सिर्फ और सिर्फ वह तिरंगा लहराएगा जिस के लिये श्यामाप्रसादजी समेत भारत के कई लोगों ने अपना बलिदान दिया जिसमें वे निर्दोष पर्यटक भी है जिनकी कई वर्ष पहले पाकिस्तान परस्त आतंकीओने हत्या की थी। लेकिन अब कश्मिर न सिर्फ भारत का बल्कि विश्व का सर्व श्रेष्ठ पर्यटक स्थल बनाने की मोदी सरकारने ठान सी ली है। घाटी में पहले किसी बाहरी शख्स के जमीन खरीदने पर भी पाबंदी थी। यह प्रावधान भी खत्म हो गया है। केंद्र की मोदी सरकार के एक ऐतिहासिक फैंसले से ने जम्मू-कश्मीर का स्वरूप पूरी तरह बदल गया है। मौजूदा जम्मू-कश्मीर राज्य के राज्यपाल अब केंद्र शासित जम्मू एवं कश्मीर और केंद्र शासित लद्दाख के उपराज्यपाल होंगे। साथ ही विधानसभा का कार्यकाल भी 6 नहीं 5 साल का होगा।
एक समय था की कश्मिर के लोग और आतंकीओं के साथ साथ वहां के नेतागण भी भारत को खुल्ली चुनौती देते थे श्रीनगर के लाल चोक में तिरंगा लहराने का। 1990 के दौर में उस वक्त मोदीजीने ही भाजपा के मुरली मनोहर जोषी के साथ लाल चोक में तिरंगा लहरा कर मानों 370 दूर करने की कसम ली होंगी और फिर ऐसा कर दिखाया की आज भारत की राजनीति में कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दल चारो खाने चित है। जो किसीने नहीं कर दिखाया वह मोदीजी और भाजपा के चाणक्य अमित शाहजीने ऐसा कर दिखाया की कुछ ही समय में घाटी के लोग ही मोदीजी की तारिफ के पुल बांधेंगे तहेदिल से। कहते है न देर है अंधेर नहीं। बस कुछ दिनों की बात है। श्रीनगर में एक वायब्रन्ट समिट आयोजित होते ही जम्मु-कश्मिर की तकदीर-किस्मत बदल जायेंगी। बस थोडा इंतेजार…70 साल राह देखीं तो कम से कम 7 महिने तो सरकार को देने होंगे..कश्मिर के लोग गुनगुनायेंगे- ये कहां आ गये हम…यु ही शारत के साथ चलते चलते…!

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