अजिंक्य रहाणे जब बल्लेबाजी करने आए उस समय भारत का स्कोर तीन विकेट पर 25 रन था। वेस्ट इंडीज के खिलाफ पहले टेस्ट में उनकी टीम संकट में थी। ऐसे समय पर उन्होंने 81 रनों की पारी खेलकर टीम को मुश्किल से निकाला। रहाणे भले ही शतक नहीं बना पाए लेकिन टीम के लिए उपयोगी पारी खेलने की उन्हें खुशी है। दो साल पहले रहाणे ने टेस्ट क्रिकेट में सेंचुरी लगाई थी लेकिन गुरुवार को उससे चूकने को लेकर उन्हें मलाल नहीं है। रहाणे का कहना है कि वह ‘स्वार्थी’ नहीं हैं। रहाणे जानते थे कि शतक से चूकने का सवाल उनसे जरूर पूछा जाएगा। उन्होंने अपना आखिरी शतक श्रीलंका के खिलाफ 2017 में बनाया था। दिन का खेल समाप्त होने तक भारत का स्कोर छह विकेट पर 203 रन था। रहाणे ने दिन का खेल समाप्त होने के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ‘जब तक मैं क्रीज पर होता हूं तब तक सिर्फ टीम के बारे में सोचता हूं, मैं स्वार्थी नहीं हूं। तो हां, मुझे शतक से चूकने का कोई दुख नहीं है क्योंकि मुझे लगता है कि इस विकेट पर 81 रनों की पारी भी काफी थी और हम अब इस टेस्ट में ठीकठाक पोजिशन पर हैं।
शतक बनाना अच्छा होता लेकिन परिस्थिति के अनुसार खेलना ज्यादा मायने रखता है। रहाणे ने कहा, जब तक मैं टीम के लिए योगदान कर कर रहा हूं यह ज्यादा मायने रखता है। हां, मैं अपने शतक के बारे में सोच रहा था लेकिन जिस परिस्थिति- 25 रन पर तीन विकेट- जरा मुश्किल थी। और जैसा मैंने कहा, मैं सिर्फ टीम के लिए अच्छा प्रदर्शन करना चाहता था। मैं अपने शतक के बारे में ज्यादा चिंतित नहीं था क्योंकि परिस्थिति के अनुसार खेलते हुए अपने आप बन जाता।
31 वर्षीय इस बल्लेबाज ने कुछ महीने इंग्लिश काउंटी हैम्पशर के लिए क्रिकेट खेला। उन्होंने काउंटी के लिए सात मैच खेलते हुए एक शतक और एक हाफ सेंचुरी लगाईं। मुंबई के इस बल्लेबाज को लगता है कि अभी यह कहना जल्दबाजी होगी कि क्या काउंटी में खेलने का उन्हें फायदा मिला है अथवा नहीं लेकिन बेशक इससे कुछ अच्छी बैटिंग प्रैक्टिस मिल गई। मैच के नजरिये से देखें तो रहाणे और केएल राहुल के बीच हुई 68 रनों की साझेदारी काफी महत्वपूर्ण रही। रहाणे ने कहा, ‘उन परिस्थितियों में सकारात्मक रहना बहुत जरूरी था। पूरे दिन उन्होंने बहुत अच्छी गेंदबाजी की। उन हालात में राहुल के साथ साझेदारी बहुत जरूरी थी। हम बहुत आगे की नहीं सोच रहे थे। हमारा लक्ष्य सिर्फ एक गेंद के बारे में सोचकर खेलना था।’
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