कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने केंद्र सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर पर लिए गए फैसले को असंवैधानिक करार दिया है। कहा कि यह फैसला संवैधानिक मानदंडों के अनुसार नहीं है। यह भारतीय लोकतंत्र के लिए एक काला दिन है, क्योंकि भारत के संविधान को किसी भी कानूनी प्रावधानों का पालन किए बिना दोबारा लिखने की कोशिश की गई है। भाजपा अपने बहुमत का इस्तेमाल लोकतांत्रिक और संवैधानिक मानदंडों को मनमाने तरीके से लागू करवाने के लिए कर रही है। यह संवैधानिक प्रावधानों का दुरुपयोग है, जो अब से पहले किसी दल द्वारा कभी नहीं किया गया। सरकार ने ऐसा करके राष्ट्र के संवैधानिक और लोकतांत्रिक मूल्यों का मजाक बनाया है।
कैप्टन ने इस मामले में कश्मीर के नेताओं को नजरबंद करने की केंद्र सरकार की कार्रवाई की की निंदा की। कहा कि लोगों की आवाज पूरी तरह से दबा दी गई। यह फैसला भविष्य के लिए एक ऐसा गलत उदाहरण बन जाएगा, जिसके तहत केंद्र की सरकार देश में किसी भी राज्य में केवल राष्ट्रपति शासन लगाकर पुनर्गठित कर सकेगी। केंद्र सरकार ने एकतरफा फैसला किया है और किसी भी अन्य राजनीतिक दल के साथ कोई चर्चा नहीं की। राष्ट्रीय सुरक्षा और चिंता के इस महत्वपूर्ण मामले पर आम सहमति बनाने का कोई प्रयास नहीं किया गया। सरकार को कश्मीर मुद्दे की संवेदनशीलता को देखते हुए कोई भी निर्णय लेने से पहले लोकतांत्रिक और कानूनी मानदंडों की उचित प्रक्रिया को अपनाना चाहिए था।
केंद्र सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर में धारा 370 खत्म किए जाने के बाद राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति की समीक्षा करने के लिए मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने शीर्ष पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक की। मुख्यमंत्री ने राज्य में अमन-कानून की स्थिति को बहाल रखने के लिए किसी भी प्रकार के विरोध प्रदर्शन और इस फैसले के पक्ष में कोई भी समारोह करने पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही उन्होंने सीमा पर तनाव बढ़ने की आशंकाओं को देखते हुए पाकिस्तान द्वारा अशांति फैलाने की किसी कोशिश को नाकाम करने केे लिए पुलिस को तैयार रहने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने आशंका जताई कि पाकिस्तान इसे हलके में नहीं ले सकता है और भारत के खिलाफ गलत कदम उठा सकता है।