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अयोध्या विवाद मामले में मध्यस्थता समिति ने सुप्रीम में पेश की फाइनल रिपोर्ट

अयोध्या विवाद मामले में गठित मध्यस्थता समिति ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सीलबंद लिफाफे में अपनी फाइनल रिपोर्ट पेश की । इस मामले में सुप्रीम कोर्ट २ अगस्त को सुनवाई करेगा । सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच ने मध्यस्थता समिति से यह रिपोर्ट मांगी थी । इससे पहले १८ जुलाई को समिति ने कोर्ट को स्टेटस रिपोर्ट सौंपी थी । तब सीजेआई ने कहा था कि अभी मध्यस्थता की रिपोर्ट को रिकॉर्ड पर नहीं लिया जा रहा, क्योंकि ये गोपनीय है । पैनल जल्द अंतिम रिपोर्ट सौंप दे । अगर कोई सकारात्मक परिणाम नहीं निकला तो हम २ अगस्त को रोजाना सुनवाई पर विचार करेंगे । मामले की सुनवाई सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता और जस्टिस एस. ए. बोबडे, जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण व जस्टिस एस. ए. नजीर की सदस्यता वाली संवैधानिक बेंच कर रही है । सुप्रीम कोर्ट ने इसी साल ८ मार्च को सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस एफ. एम. कलीफुल्ला की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति गठित की थी, जिसे मामले का सर्वमान्य समाधान निकालना था ।
मध्यस्थता समिति में आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर और वरिष्ठ वकील श्रीराम पांचू भी शामिल थे । मध्यस्थता पैनल ने संबंधित पक्षों से बंद कमरे में बातचीत की । हालांकि, हिंदू पक्षकार गोपाल सिंह विशारद ने बाद में सुप्रीम कोर्ट से मध्यस्थता प्रक्रिया को रोककर मामले की रोज सुनवाई की गुहार लगाई क्योंकि उनके मुताबिक मध्यस्थता की दिशा में कोई खास प्रगति नहीं हो रही है । इलाहाबाद हाई कोर्ट के ३० सितंबर २०१० के फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत में १४ अपीलें दायर की गई हैं । हाई कोर्ट ने विवादित २.७७ एकड़ भूमि को सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला विराजमान के बीच समान रूप से विभाजित करने का आदेश दिया था । हालांकि, शीर्ष अदालत ने मई २०११ में हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाने के साथ ही अयोध्या में विवादित स्थल पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था ।

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