कांग्रेस नेता और सुप्रीम कोर्ट के सीनियर वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने त्रावणकोर देवासम बोर्ड को 62 लाख रुपये का भारी भरकम बिल भेजा है। सिंघवी ने सबरीमाला केस में सुप्रीम कोर्ट में बोर्ड का पक्ष रखने की एवज में यह बिल भेजा है। टीडीबी के अध्यक्ष पदमकुमार का कहना है कि सरकार ने उनकी सिफारिश के खिलाफ जाकर सिंघवी को बोर्ड का वकील नियुक्त किया था। बोर्ड का कहना है कि हमने सिंघवी को यह मामला नहीं सौंपा है।
त्रावणकोर देवासम बोर्ड का कहना है कि सबरीमाला फैसले और उस दौरान हुए घटनाक्रम की वजह से मंदिर के राजस्व में भारी कमी आई है। ऐसे में बोर्ड इस भारी भरकम बिल को चुकाने में असमर्थ है। बोर्ड का कहना है कि उन्हें बिल मिल गया है और उन्होंने इस संबंध में सरकार से भी सम्पर्क किया है। बोर्ड के अध्यक्ष का कहना है कि सरकार के इस संबंध में कोई फैसला लेने के बाद ही आगे की दिशा तय होगी। सूत्रों का कहना है कि बोर्ड ने उस दौरान सरकार से पैरवी के लिए गोपाल सुब्रमण्यम और मोहन पारासरन के नाम की सिफारिश की थी।
सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान सीनियर वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने त्रावणकोर देवासम बोर्ड का पक्ष रखा था। लंबे समय तक चली सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने बोर्ड के खिलाफ फैसला सुनाया था। सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को अनुमति दी थी।