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कश्मीर में अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती पर महबूबा मुफ्ती ने उठाए सवाल

जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने घाटी में अतिरिक्त 10 हजार सैनिकों की तैनाती के केंद्र सरकार के फैसले पर सवाल उठाया है। महबूबा मुफ्ती ने कहा कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के इस फैसले ने जम्मू-कश्मीर के लोगों में भय जैसा माहौल पैदा कर दिया है। उन्होंने कहा कि कश्मीर में सुरक्षा बलों की कोई कमी नहीं है। जम्मू-कश्मीर एक राजनीतिक समस्या है जो सैन्य साधनों से हल नहीं होगी। भारत सरकार को अपनी नीति पर पुनर्विचार और सुधार करने की आवश्यकता है। जानकारी हो कि केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर में केंद्रीय अर्धसैनिकबलों की 100 अतिरिक्त कंपनियां भेजने का फैसला किया है। 
इन कंपनियों का आगमन अगले चंद दिनों में शुरू हो जाएगा। केंद्र के इस फैसले ने कश्मीर घाटी में राजनीतिक दलों व अलगाववादियों में हलचल तेज कर दी है। चूंकि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल भी कश्मीर का तीन दिन का दौरा पूरा कर लौटे हैं। कुछ लोग कश्मीर में 100 अतिरिक्त कंपनियां भेजने को अनुच्छेद 35ए को भंग करने से पहले केंद्र की तैयारी के रूप में देख रहे हैं तो कई कश्मीर में आतंकरोधी अभियानों में तेजी लाने के लिए। इन्‍हीं बातों को लेकर जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने घाटी में अतिरिक्त 10 हजार सैनिकों की तैनाती के केंद्र सरकार के फैसले पर सवाल उठाया है। मुफ्ती ने कहा कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के इस फैसले ने घाटी के लोगों में भय जैसा माहौल पैदा कर दिया है। उन्होंने कहा कि कश्मीर में सुरक्षा बलों की कोई कमी नहीं है।
जम्मू-कश्मीर एक राजनीतिक समस्या है जो सैन्य साधनों से हल नहीं होगी। जानकारी के अनुुसार पिछले दिनों आरटीआई अधिनियम पर भी पार्टी अध्यक्ष मुफ्ती ने ट्वीट कर कहा था कि सूचना के अधिकार (संशोधन) विधेयक पर केंद्र सरकार का राज्यसभा में समर्थन नहीं करेगी। जम्मू कश्मीर का अपना खुद का आरटीआई अधिनियम 2009 है। राज्यसभा में आरटीआई विधेयक को समर्थन देने का सवाल ही नहीं। वह उन मीडिया खबरों का जवाब दे रही थीं, जिनमें कहा गया था कि क्या पीडीपी राज्यसभा में आरटीआई (संशोधन) विधेयक का समर्थन करेगी।

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